SP का पंचायत चुनाव से हटने का ऐलान, क्या बदलेगी प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर, अखिलेश की रणनीति समझिए

राष्ट्रीय जजमेंट 

इटावा: उत्तर प्रदेश की राजनीतिक जमीन पर इस समय शिवपाल यादव चर्चा में है। शिवपाल यादव ने इटावा से जिस प्रकार पंचायत चुनाव को लेकर बड़ी घोषणा की है, उसने तमाम राजनीतिक दलों के कान खड़े कर दिए हैं। शिवपाल यादव ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि समाजवादी पार्टी 2026 में होने वाले यूपी पंचायत चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी। पंचायत चुनाव में हिस्सा न लेने का फैसला आखिर में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेना है। हालांकि, शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर हैं। पार्टी में एक बड़ी जिम्मेदारी रखते हैं। ऐसे में उनके इस बड़े बयान को अखिलेश यादव की सहमति के बिना दिया जाना संभव नहीं दिखता है।शिवपाल यादव के बयान ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी की रणनीति को एक प्रकार से साफ कर दिया है। अगर उनका बयान सही साबित होता है और चुनावी मैदान में समाजवादी पार्टी नहीं उतरती है तो इसका सीधा अर्थ बड़े अर्थ में देखा जा सकता है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स के जरिए भारतीय जनता पार्टी को मात देने में सफलता हासिल की।हालांकि, समाजवादी पार्टी के जातीय गठजोड़ को यूपी उपचुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी की रणनीति ने ध्वस्त कर दिया। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद आगरा से बांग्लादेशी हिंदुओं के उत्पीड़न के मुद्दे को जिस प्रकार से सीएम योगी आदित्यनाथ ने छेड़ा। ‘बंटोगे तो कटोगे’ का नारा दिया( उसने प्रदेश की राजनीति को एक अलग रुख दे दिया। प्रदेश में हुए 10 में से 8 विधानसभा उपचुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में आए। इसमें से ऐसी भी सीटें थी, जिन्हें समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीट माना जाता था।यूपी उपचुनाव के बाद अखिलेश की पीडीए पॉलिटिक्स के फेल होने की बात शुरू हो गई। हालांकि, पिछले दिनों अखिलेश यादव ने राहुल गांधी के वोट चोरी वाले मुद्दे का समर्थन किया। चुनावों के दौरान 18 हजार एफिडेविट के जरिए चुनाव आयोग पर सवाल खड़ा कर उन चर्चाओं पर विराम लगाने की कोशिश की है। ऐसी स्थिति में पंचायत चुनाव में भाग न लेने का फैसला लेकर समाजवादी पार्टी एक प्रकार से अपनी रणनीति को सामने न लाने के मूड में है। पार्टी किसी भी जातीय पॉकेट्स को विधानसभा चुनाव से पहले नाराज नहीं करना चाहता है।
समाजवादी पार्टी की कोशिश विधानसभा चुनाव 2027 में पूरे जोर-शोर के साथ उतरने की है। इसमें सपा अपनी पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स को पूरी तरह से जमीन पर उतरती नजर आएगी। ठीक वैसे ही जैसे लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान पार्टी रणनीति के साथ दिखी थी। इससे पहले अगर पार्टी अगर अपनी रणनीति को सामने लाती है और उसमें उन्हें मनोनुकूल सफलता नहीं मिलती है तो अभी से कार्यकर्ताओं का मनोबल डगमगा जाएगा। ऐसे पार्टी सत्ताधारी पार्टी को विधानसभा चुनाव से पहले कोई रणनीतिक बढ़त लेने देने के मूड में नहीं है।
समाजवादी पार्टी भले ही ऐलान कर रही हो कि वह पंचायत चुनाव के मैदान में नहीं उतरेगी, लेकिन उसके कार्यकर्ता चुनावी मैदान में दिख सकते हैं। सपा की ओर से बिना सिंबल लिए पार्टी का समर्थन हासिल कर पार्टी के उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरेंगे। वे भारतीय जनता पार्टी को टक्कर देते दिखेंगे। इसके जरिए समाजवादी पार्टी जमीन पर अपनी पकड़ को भी टोह लेगी। साथ ही, विपक्षी गठबंधन की एकता में भी सेंधमारी न हो, इसका भी ख्याल रखा जाएगा। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद कांग्रेस ने यूपी उपचुनाव 2024 में 10 में से 5 सीटों की मांग कर दी।
कांग्रेस दिखाएगी ‘ताकत’
समाजवादी पार्टी ने जब इन सीटों को देने से इनकार किया और दो सीटों पर सहमति जताई। कांग्रेस ने सीधे तौर पर उपचुनाव में उतरने से ही मना कर दिया। ऐसे में अगर यूपी पंचायत चुनाव 2026 में समाजवादी पार्टी चुनावी मैदान में नहीं उतरती है तो कांग्रेस सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। वजह यह है कि कांग्रेस की ओर से लगातार दावे किए जा रहे हैं कि प्रदेश के सभी जिलों में पार्टी अपना विस्तार कर रही है। अपने कार्यकर्ताओं को वह सक्रिय करने में जुटी हुई है।
ऐसे में समाजवादी पार्टी भी कांग्रेस की ताकत को देखकर आगे की रणनीति तैयार कर सकती है। पंचायत चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन 2027 में प्रदेश में सीटों में बड़ी भूमिका निभा सकता है। ऐसे में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती होगी कि वह बेहतर प्रदर्शन कर अपनी स्थिति मजबूत करे।
अन्य दलों के लिए भी मौका
समाजवादी पार्टी के चुनावी मैदान से हटने की स्थिति में गठबंधन कर विधानसभा चुनाव में अधिक सीट लेने की ताक में जुटे दलों के लिए भी यह एक बड़ा अवसर हो सकता है। छोटे-छोटे दल अपनी ताकत पंचायत चुनाव में दिखाकर समाजवादी पार्टी से विधानसभा चुनाव में सीटों पर मोल-भाव कर सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी के भी सहयोगियों के लिए यह एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है।
हालांकि, अखिलेश यादव अपनी इस रणनीति से एक तीर से कई शिकार करते दिख सकते हैं। अंतिम घोषणा उनकी तरफ से ही होनी है। ऐसे में उनके बयान का इंतजार तमाम दलों को होगा। हालांकि, आखिरी समय में अखिलेश यादव कोई बड़ा पैतरा दिखाकर सभी को चकित कर सकते हैं।

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