प्रयागराज: प्राइवेट पार्ट काटने वाले स्‍टूडेंट की प्‍लास्टिक सर्जरी, उम्र भर खानी पड़ेंगी हार्मोंस वाली दवाएं

राष्ट्रीय जजमेंट 

प्रयागराज: यूपी के प्रयागराज में कुछ दिन पहले एक प्रतियोगी छात्र ने जेंडर चेंज करने के लिए अपने प्राइवेट पार्ट का ऑपरेशन कर लिया था। गंभीर अवस्था में उसे एसआरएन अस्पताल में एडमिट कराया गया। करीब 5 दिन तक चले इलाज के बाद डॉक्टरों की टीम ने क्षतिग्रस्त पार्ट के आसपास की स्किन को प्लास्टिक सर्जरी से रिकवर कर लिया। आने वाले समय में उसके प्राइवेट पार्ट को फिर से जोड़ने की तैयारी है। अगर ऐसा संभव होता है तो यह मेडिकल साइंस में बहुत बड़ी सफलता होगी। छात्र को आजीवन हार्मोंस और दवाओं का सहारा लेना पड़ेगा।प्रतियोगी छात्र ने बताया था कि उसके मन में यह विचार लगातार चल रहा था कि वह लड़की है। उसका शरीर भले ही लड़के जैसा हो लेकिन उसका हावभाव और बोली लड़कियों जैसी है। धीरे-धीरे इस भावना ने उसके मन मस्तिष्क कब्जा कर लिया। इसी बीच वह कटरा मोहल्ले के एक झोलाछाप डॉक्टर के सम्पर्क में आया। उसके बहकावे में आकर बीते मंगलवार उसने स्वयं से एनेस्थीसिया इंजेक्शन लगाया और सर्जिकल ब्लेड से प्राइवेट कार्ड काट लिया। खुद ही मलहम पट्टी किया। 5-6 घंटे बाद उसकी हालत बहुत गंभीर हो गई तो मकान मालिक को मदद के लिए बुलाया पहले तेज बहादुर सप्रू अस्पताल और उसके बाद SRN हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।
प्रतियोगी छात्र के बारे में पता चलने पर अमेठी से उसके माता पिता और परिजन भी अस्पताल पहुंच गए। उसके पिता किसान हैं। वह इकलौती संतान है। सीबीएसई बोर्ड से इंटरमीडिएट करने के बाद UPSC परीक्षा की तैयारी करने के लिए प्रयागराज आया है। नैनी क्षेत्र में वह किराए पर कमरा लेकर रहता है।
लड़के को अपनी गलती का हो रहा अहसास
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के सर्जन डॉक्‍टर संतोष सिंह ने बताया कि छात्र जेंडर आईडेंटिटी डिसऑर्डर का शिकार है। काफी गंभीर अवस्था में उसे यहां लाया गया था। अब उसकी स्थिति नियंत्रण में है और वह खतरे के बाहर है। पीड़ित के स्वस्थ होने के बाद मेडिकल काउंसलिंग कराई गई। लड़के की मां और मामा ने सपोर्ट किया। अब वह अपनी गलती को महसूस कर रहा है। वह अब लड़की नहीं बनना चाहता। उसने जो कदम उठाया था फिर हाल वह किसी के बहकावे में आकर यह कदम उठाया था।बहुत ज्‍यादा उम्‍मीद नहीं है: डॉक्‍टर
डॉक्‍टर के मुताबिक, शुक्रवार को फर्स्ट स्टेज की प्लास्टिक सर्जरी करके क्षतिग्रस्त स्किन को रिकवर किया गया। बहुत ज्यादा नहीं कुछ उम्मीद दिखी है। बहुत कम चांसेज पर भी मेडिकल साइंस में डॉक्टरों की टीम ने बहुत अच्छा किया है। इस केस में भी पूरा प्रयास जारी है।

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