चुनाव आयोग के कामकाज पर 66 पूर्व अधिकारियों ने जताई चिंता, राष्ट्रपति को लिखा पत्र

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66 पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को पत्र लिखकर आचार संहिता के उल्लंघन, खासतौर पर सत्तारूढ़ पार्टी की संलिप्तता वाले, कथित मामलों से निपटने में विफल रहने पर चुनाव आयोग की विश्वसनीयता और कामकाज पर चिंता जताई है।
चुनाव आयोग (ईसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर अपने विचार रखने के लिए आयोग 12 अप्रैल को पत्र का जवाब दे सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘इस वक्त आयोग 11 अप्रैल को पहले चरण के मतदान की तैयारियों में व्यस्त है। इससे अलावा उसका ध्यान छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले के बाद की स्थिति पर भी है।’’
पूर्व अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ बताने का भी उदाहरण दिया है। नौकरशाहों ने कहा कि आयोग द्वारा इस तरह के बयानों को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत थी लेकिन इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को हल्की फटकार ही लगाई।
पत्र में कहा गया है कि हम अपने इस गहरे रोष को व्यक्त करने के लिए आपको पत्र लिख रहे हैं कि भारत का चुनाव आयोग, जिसका बड़ी चुनौतियों और जटिलताओं के बावजूद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का एक लंबा और सम्मानजनक रिकॉर्ड रहा है,
वह आज विश्वसनीयता के संकट से जूझ रहा है। पत्र में कहा गया है कि समझा जाता है कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और कार्यक्षमता से आज समझौता किया गया है। इसके कारण चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को खतरा है जो भारतीय लोकतंत्र की नींव है।

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