सीमा विमर्श पर डीयू में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ

घुसपैठ भारत के लिए गंभीर चुनौती: तमिलनाडु राज्यपाल आर.एन. रवि

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस रीगल लॉज में गुरुवार को सीमा जागरण मंच दिल्ली, मोतीलाल नेहरू कॉलेज (सांध्य), और सेंटर फॉर इंडिपेंडेंस एंड पार्टीशन स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘सीमा विमर्श’ का उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की, जबकि डीआरडीओ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी विशिष्ट अतिथि रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की। मंच पर सीमा जागरण मंच के प्रांत अध्यक्ष रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल नितिन कोहली और मोतीलाल नेहरू कॉलेज (सांध्य) के प्राचार्य प्रो. संदीप गर्ग भी उपस्थित थे।

राष्ट्रगान, दीप प्रज्ज्वलन, और कुलगीत के साथ सम्मेलन का विधिवत शुभारंभ हुआ। अपने उद्घाटन भाषण में राज्यपाल आर.एन. रवि ने सीमापार घुसपैठ को भारत के लिए अस्तित्वगत समस्या करार दिया। उन्होंने कहा कि घुसपैठ रोकने के लिए सैन्य संसाधनों के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्रों के समाज के साथ समन्वय भी आवश्यक है। रवि ने उपनिवेशवादी सोच पर प्रहार करते हुए कहा कि इसने भारत की विविधता को भिन्नता में बदल दिया, जबकि विविधता देश की ताकत है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा सीमावर्ती जनजातियों के बीच किए गए कार्यों की सराहना की और बदलती डेमोग्राफी की चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला।

डीआरडीओ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने घुसपैठ को सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से ज्वलंत मुद्दा बताते हुए इस पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता जताई। उन्होंने प्राकृतिक चुनौतियों और रक्षा बजट में वृद्धि की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को देश के लिए गर्व का विषय बताया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि सीमा सुरक्षा और संप्रभुता आज के भारत की प्राथमिकता है। उन्होंने भारत विभाजन के दुखद इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियां दोबारा न आएं, इसके लिए सीमाओं की सुरक्षा अनिवार्य है। उन्होंने युवाओं में राष्ट्रप्रेम जगाने और ऐतिहासिक सत्य को समझने की आवश्यकता पर बल दिया। इस संदर्भ में उन्होंने कवि इकबाल के विचारों के दुष्परिणामों का उल्लेख करते हुए डीयू के पाठ्यक्रम से उनकी रचनाओं को हटाने के निर्णय की जानकारी दी।

मोतीलाल नेहरू कॉलेज (सांध्य) के प्राचार्य प्रो. संदीप गर्ग ने इस सम्मेलन को राष्ट्रहित से जुड़ा ‘महायज्ञ’ करार दिया। कार्यक्रम संयोजक डॉ. श्याम नारायण पांडेय ने कहा कि सीमा वहां नहीं, जहां सरहदें हैं, बल्कि वहां है, जहां राष्ट्रभाव समाप्त होता है। उन्होंने सम्मेलन में सेना के अधिकारियों, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, प्राध्यापकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों की व्यापक भागीदारी पर प्रसन्नता जताई।

सीमा जागरण मंच के प्रांत अध्यक्ष रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल नितिन कोहली ने सम्मेलन की सार्थकता पर बल देते हुए कहा कि बदलते भारत में सीमाओं की सुरक्षा और घुसपैठ की चुनौती से निपटना अनिवार्य है। यह सम्मेलन दो दिनों तक चलेगा, जिसमें सीमा सुरक्षा और घुसपैठ से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा होगी।

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