मुसलमान घर में पैदा हुआ श्रीकृष्ण भक्त, गौसेवा के लिए मिल चुका है पद्मश्री सम्मान, जानिए कौन हैं मुन्‍ना मास्‍टर

राष्ट्रीय जजमेंट 

जयपुर: मुस्लिम परिवार में जन्मे होने के बावजूद भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त, बगरू के 65 वर्षीय मुन्ना मास्टर ने भक्ति संगीत और गौसेवा को अपनी जीवन साधना बना लिया है। ‘श्रीश्याम सुरभि वंदना’ जैसी भजन संकलन कृति के लेखक मुन्ना मास्टर को 2020 में मोदी सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। देशभर के बड़े शहरों में भजन प्रस्तुतियों से वे भक्ति और गौसेवा का संदेश फैला रहे हैं।
भगवान श्याम की भक्ति और गौसेवा के आचरण के दौरान ही उन्होंने ‘श्रीश्याम सुरभि वंदना’ का लेखन किया है। मुन्ना मास्टर की यह किताब श्रीश्याम भजनों का संग्रह है। उन्होंने बताया कि वह पूर्व में नियमित रूप से खाटूश्यामजी के मंदिर दर्शन के लिए जाते थे। सत्संग और यात्रा के दौरान भक्तिभाव में भजनों के गायन ने उन्हें भजन संग्रह की प्रेरणा दी। मुन्ना मास्टर बताते हैं कि भजन गायन उनके परिवार की परंपरा का हिस्सा है। बरसों से वह भक्ति संगीत के अनेकों आयोजनों में भागीदार रहे हैं। पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद भी मुन्ना मास्टर का यह सफर जारी है। पिछले कुछ सालों में उन्होंने बेंगलुरु, मुंबई, अहमदाबाद, सूरत और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में भी अपनी भजन प्रस्तुतियां दी हैं।

हर परिवार गौसेवा से जुड़ जाए तो गौसंरक्षण का लक्ष्य पूरा हो जाएगा

नवभारत टाइम्स से बातचीत में मुन्ना मास्टर ने कहा कि हमारी संस्कृति गाय है। इससे सभी धर्मों के कार्य पूर्ण होते हैं। इसलिए संस्कृति संरक्षण के लिए गौसंरक्षण जरूरी है। कण-कण से मण बनता है, इसलिए यदि हर परिवार गौसेवा से जुड़ जाए तो गौसंरक्षण का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। फिर चाहे गौपालन हो या गौशालाओं में चारे-पानी की व्यवस्था में अपना यथायोग्य योगदान हो। गाय को बचाएंगे तो ही हमारी भारतीय संस्कृति सुरक्षित रहेगी। उन्होंने इस दौरान अपनी ख्वाहिश भी जाहिर की कि केंद्र सरकार गौमाता को ‘राष्ट्रीय माता’ घोषित करे, ताकि राष्ट्रीय पक्षी मोर की तरह इसका भी संरक्षण हो सके। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने गौशालाओं को अनुदान देना शुरू कर दिया है, लेकिन केंद्रीय सरकार भी अपनी तरफ से इसके संरक्षण के लिए विचार करे तो बेहतर होगा।
भजन और गौसेवा से मिली पहचान

मुन्ना मास्टर नियमित रूप से खाटूश्यामजी के दर्शन के लिए जाते रहे हैं। सत्संग और यात्राओं में भजनों का गायन उनकी पहचान बन गया। 2020 में उन्हें गौसेवा और भक्ति संगीत के जरिए जनजागरूकता फैलाने के लिए केंद्र सरकार ने कला के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान प्रदान किया।

संस्कृति और गौसंरक्षण का संदेश

मुन्ना मास्टर का मानना है कि गाय भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। उनका कहना है कि एक-एक परिवार गौसेवा से जुड़े तो संरक्षण का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार से ‘गौमाता’ को राष्ट्रीय माता घोषित करने की अपील की है ताकि इसका संरक्षण राष्ट्रीय पक्षी मोर की तरह हो सके।

संस्कृत शिक्षा को लेकर विवाद

मुन्ना मास्टर के पिता गफूर खान ने चारों बेटों को संस्कृत की शिक्षा दिलाई, जिसके कारण समाज और रिश्तेदारों ने उनसे नाता तोड़ लिया। वे चाहते थे कि बेटा मदरसे में पढ़े, लेकिन गफूर खान ने संस्कृत विद्यालय में दाखिला कराया। करीब दस साल तक रिश्तेदारों ने संबंध नहीं रखा।

बेटे फिरोज खान की सफलता

मुन्ना मास्टर के बेटे फिरोज खान ने मेहनत से संस्कृत में शिक्षा शास्त्री तक की पढ़ाई पूरी की और जयपुर के संस्कृत कॉलेज और विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। उन्हें बेस्ट टीचर अवॉर्ड भी मिला और बीएचयू के संस्कृत विभाग में नियुक्ति मिली। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी उन्हें संस्कृत दिवस पर सम्मानित किया।

परिवार में सभी धर्मों का सम्मान

मुन्ना मास्टर ने अपनी बड़ी बेटी का नाम लक्ष्मी और छोटी का नाम अनिता रखा। बेटी की शादी के कार्ड पर गणेशजी की तस्वीर छपवाई। उनका परिवार मंदिर और मस्जिद दोनों जाता है, और सभी धर्मों को समान मानता है।

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