भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई ने देश में ‘न्यायिक सक्रियता’ के बने रहने पर जोर तो दिया, लेकिन आगाह भी किया कि इसे ‘न्यायिक आतंकवाद’ में नहीं बदलना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश गवई ने कहा कि न्यायिक समीक्षा की शक्ति का इस्तेमाल संयम से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल केवल तभी किया जाना चाहिए जब कोई कानून संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता हो।
न्यायमूर्ति गवई ने एक विधि समाचार पोर्टल के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘न्यायिक सक्रियता बनी रहेगी। लेकिन न्यायिक सक्रियता को न्यायिक आतंकवाद में नहीं बदलना चाहिए। इसलिए, कई बार आप सीमाओं को लांघने की कोशिश करते हैं और ऐसे क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं, जहां आमतौर पर न्यायपालिका को प्रवेश नहीं करना चाहिए।’’
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