ऑपरेशन सिंदूर का टॉम कूपर, जॉन स्पेंसर और जेनिफर ज़ेंग ने जो विश्लेषण किया है वो आंखें खोल कर रख देगा

राष्ट्रीय जजमेंट

7 मई 2025 की सुबह ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद से भारत के निपटने के तरीके में बड़े बदलाव को स्थापित कर दिया। यह केवल सैन्य अभियान-भर नहीं था, बल्कि दुनिया को साफ तौर पर संदेश था कि भारत सीमा पार हमलों पर अब चुप नहीं बैठेगा। हम आपको बता दें कि भारत के इस अभियान का टॉम कूपर, जॉन स्पेंसर और जेनिफर ज़ेंग जैसे प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने विस्तृत मूल्यांकन किया है, जिसमें भारत की सफलता के रणनीतिक और सामरिक तत्वों को रेखांकित किया गया है। ऑस्ट्रियाई सैन्य इतिहासकार टॉम कूपर ने भारत के वायु सेना अभियान को जीत की स्पष्ट वजह बताया है। कूपर ने कहा है कि पाकिस्तान की विश्वसनीय कार्रवाई अक्षमता से भारत की रणनीतिक प्रभावशीलता परिलक्षित होती है। उन्होंने कहा, “इस मामले में: भारत की स्पष्ट जीत हुई है और कोई हैरत नहीं कि पाकिस्तान ने ‘युद्धविराम’ के लिए क्यों ‘आवाज़’ लगानी शुरू की।”कूपर ने अपने तर्क के समर्थन में पाकिस्तान की प्रतिरोधी रणनीतिक विफलता का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई और परमाणु हमले की धमकी देने की रणनीति विफल रही, क्योंकि भारत ने जोरदार जवाबी हमला किया और पाकिस्तानी कदम के जवाब में हमला और बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि लड़ाई इसलिए थमी कि पाकिस्तान ने भारी नुकसान उठाने के बाद “युद्ध विराम” का आग्रह करना शुरू कर दिया। कूपर ने विचार व्यक्त किया कि पाकिस्तान की तरफ से सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला संभवतः उसके गोला-बारूद के अपर्याप्त भंडार और नष्ट होते यूएवी के कारण हुआ।वहीं मॉडर्न वारफेयर इंस्टीट्टूट-अर्बन वॉरफेयर स्टडीज़ के अध्यक्ष जॉन स्पेंसर ने रणनीतिक संयम और दृढ़तापूर्ण भारतीय रुख की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की चेतावनी भरी लाल रेखाओं को फिर से परिभाषित कर दिया कि पाकिस्तान की भूमि से उस पर किया जाने वाला कोई भी आतंकवादी हमला युद्ध माना जाएगा। स्पेंसर ने अपनी टिप्पणी में कहा कि भारत ने प्रचंड जवाबी हमला किया लेकिन इसे युद्ध में बदलने से पहले ही रोक दिया। यह उल्लेखनीय प्रतिरोधक प्रदर्शन है, जो नपा-तुला, नियंत्रित और विश्वसनीय रहा। जॉन स्पेंसर ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत की बड़ी जीत बताया। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि भारत ने सिर्फ़ चार दिनों की विचारपूर्ण सैन्य कार्रवाई में अपने रणनीतिक लक्ष्य हासिल कर लिए, बल्कि उससे भी ज्यादा प्राप्त कर लिया। स्पेंसर इसे निर्णायक शक्ति और उसे स्पष्ट तौर पर लागू किये जाने के प्रयोग के रूप में देखते हैं, न कि सिर्फ़ प्रतीकात्मक बल के रूप में।स्पेंसर ने कई प्रमुख रणनीतिक प्रभावों का उल्लेख किया है, जो भारत की जीत को प्रदर्शित करते हैं: जैसे किएक नई रणनीतिक चेतावनी जारी और लागू कर दी गई कि अब पाकिस्तानी धरती से होने वाले आतंकी हमलों का मुकाबला सैन्य बल से किया जाएगा, एक मिसाल है।सैन्य श्रेष्ठता प्रदर्शन: भारत ने पाकिस्तान में किसी भी लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता दिखा दी, जिसमें आतंकी ठिकाने, ड्रोन समन्वय केंद्र और हवाई अड्डे शामिल रहे। इसके विपरीत, पाकिस्तान भारत के अंदर किसी भी सुरक्षित क्षेत्र में घुसने में विफल रहा। श्री स्पेंसर ने इसे बड़ी रणनीतिक श्रेष्ठता और वास्तविक प्रतिरोधक क्षमता बताया।प्रतिरोधक बहाली: शक्तिशाली जवाबी कार्रवाई करने लेकिन पूर्ण युद्ध में बदलने से पहले ही संघर्ष को रोककर भारत ने अपने युद्ध नियंत्रण इच्छा और क्षमता का स्पष्ट संकेत दिया, जिससे प्रतिरोधक बहाल हुआ।रणनीतिक स्वतंत्रता: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता के बिना ही संघर्ष का बेहतर प्रबंधन कर अपनी संप्रभु शर्तों पर सिद्धांतों को लागू किया।इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय प्रेस एसोसिएशन की सदस्य जेनिफर ज़ेंग ने भी भारत के रणनीतिक हमलों और पाकिस्तान की हार का विस्तृत विवरण साझा करते हुए कहा है कि भारत ने सटीक और शक्तिशाली हमले कर पाकिस्तान के आतंकी शिविर, वायु रक्षा प्रणाली और प्रमुख सैन्य ठिकाने नष्ट किए। पाकिस्तान का नुकसान जैसे-जैसे बढ़ता गया, उसके जवाबी हमले के प्रयास बार-बार विफल होते गए और वहां का नेतृत्व हताश हो गया और उसने अमरीका और सऊदी अरब का रुख कर पूर्ण सैन्य हार से बचने के लिए कूटनीतिक मदद की गुहार लगाई। उनके लेख में उन घटनाओं को समयबद्ध चरण में दिखाया गया है कि पाकिस्तानी सेना को युद्धविराम की गुहार क्यों लगानी पड़ी। उन्होंने लिखा है-7 मई- भारत ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित आतंकी शिविरों को निशाना बनाते हुए राफेल जेट और ब्रह्मोस मिसाइलों से बड़े स्तर पर हवाई हमले किये, जिससे पाकिस्तान के छद्म नेटवर्क को गहरा झटका लगा।8 मई– भारत के सटीक हमलों ने लाहौर में पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली एचक्यू-16 को नष्ट कर दिया। भारतीय हमलों से पाकिस्तान की विदेशी सैन्य प्रौद्योगिकी पर निर्भरता उजागर हो गई।9 मई- भारतीय सेना ने नूर खान और रफीकी सहित प्रमुख हवाई ठिकानों पर बमबारी की, जिससे पाकिस्तान की हवाई क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई।- ड्रोन, मिसाइलों और जेट से पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई को भारत के एस-400 ट्रायम्फ और अन्य रक्षा प्रणालियों ने रोक दिया। भारत ने पाकिस्तान के दुष्प्रचार और उसे हुए नुकसान के फर्जी दावे को भी खारिज कर दिया।- पाकिस्तान द्वारा दागी गईं सभी छह मिसाइलों को भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने रोककर बेअसर कर दिया, जिससे बड़ी आपदा टल गई। पाकिस्तान की यह विफलता ही संघर्ष में एक निर्णायक मोड़ साबित हुई।- पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष जनरल असीम मुनीर ने हताश होकर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और सऊदी विदेश मंत्री से संपर्क किया और पूर्ण पराजय से बचने के लिए मदद की गुहार लगाई।10 मई- पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स (डीजीएमओ) ने युद्ध विराम का अनुरोध कर अपनी स्थिति को दुनिया के सामने उजागर होने से बचाने की कोशिश की। अंतरराष्ट्रीय वार्ताकारों की मध्यस्थता से युद्ध विराम शाम 5:00 बजे लागू हो गया।अगर इस सबका निष्कर्ष निकाला जाये तो ऑपरेशन सिंदूर भारत के आधुनिक सैन्य और रणनीतिक इतिहास का एक निर्णायक क्षण साबित हुआ है, जो सटीकता और प्रतिरोधक क्षमता के साथ ही राष्ट्रीय संप्रभुता और नागरिकों के जीवन की रक्षा का बड़ा उदाहरण बना है। इस ऑपरेशन को ऐतिहासिक बनाने वाली बात सिर्फ़ हमलों का स्तर या सफलता नहीं है, बल्कि इसमें निहित संदेश है कि भारत अब सीमा पार से आतंकवाद को बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेगा और नियंत्रित, वैधानिक और रणनीतिक रूप से पूरी शक्ति के साथ इसका जवाब देगा।तेज़ और सटीक कार्रवाई द्वारा भारत आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे को नष्ट करने, सैन्य खतरों को बेअसर करने और लंबे समय से थमी प्रतिरोधक क्षमता बहाल करने में कामयाब रहा और यह सब व्यापक स्तर पर युद्ध और अपने नागरिकों को हताहतों होने से बचाते हुए किया गया। जैसा कि टॉम कूपर, जॉन स्पेंसर और जेनिफर ज़ेंग ने उल्लेख किया है कि ऑपरेशन सिंदूर ने भारत के विकसित रक्षा सिद्धांत को प्रतिबिंबित किया है, जो मुखर लेकिन जिम्मेदार, सटीकता से किया गया लेकिन बेहद मारक है।अपने ठिकानों को बचाने और शक्तिशाली जवाबी हमला करने में पाकिस्तान की विफलता, उसकी तुरंत युद्धविराम की गुहार, क्षेत्रीय शक्ति में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है। भारत ने इस अभियान के जरिये सिर्फ़ सैन्य जीत ही नहीं, युद्ध के नियम भी दुबारा लिख दिये हैं। ऑपरेशन सिंदूर के साथ भारत ने प्रदर्शित कर दिया है कि रणनीतिक संयम का मतलब निष्क्रियता नहीं है और जब उकसावे की कोई कार्रवाई होती है तो वह नपातुला लेकिन ज़बरदस्त जवाबी कार्रवाई कर सकता है और करेगा।

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