‘द लोकमाता’ पुस्तक का भव्य विमोचन, सुनील अम्बेकर ने बताया अहिल्याबाई को सांस्कृतिक धुरी

नई दिल्ली: साहित्य अकादमी के सभागार में मंगलवार को प्रो. बंदना झा और डॉ. प्रितेश कुमार द्वारा संपादित पुस्तक ‘द लोकमाता: देवी अहिल्याबाई होलकर का जीवन और विरासत’ का भव्य विमोचन समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अम्बेकर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि राष्ट्रीय जनजातीय आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा विशिष्ट अतिथि थीं।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केंद्र की अध्यक्ष प्रो. बंदना ने स्वागत भाषण में देवी अहिल्याबाई होलकर को नारी शक्ति और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “यह पुस्तक भारतीय महिला नेतृत्व की गहराई को समझने में नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक बनेगी।

मुख्य अतिथि सुनील अम्बेकर ने अपने संबोधन में अहिल्याबाई को एक कुशल शासक, आध्यात्मिक और दूरदर्शी व्यक्तित्व के रूप में चित्रित किया। उन्होंने कहा, “उनका जीवन आधुनिक भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत है।” डॉ. आशा लकड़ा ने अहिल्याबाई की जनकल्याणकारी नीतियों और सामाजिक समरसता में उनके योगदान पर प्रकाश डाला।

पुस्तक में सात अध्याय हैं, जो अहिल्याबाई के जीवन, शासन, कूटनीति, स्थापत्य योगदान, सामाजिक सुधार और समकालीन प्रासंगिकता का विश्लेषण करते हैं। लेखकों में प्रो. बंदना झा, डॉ. अपर्णा वर्मा, सुकृत बनर्जी, डॉ. संदीप कुमार, डॉ. प्रितेश कुमार, चिराग अमेटा और शुभम शेखर शामिल हैं।

समारोह का समापन डॉ. प्रितेश कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। यह पुस्तक इतिहास प्रेमियों, शोधार्थियों और नीति निर्माताओं के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।

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