नई दिल्ली: दिल्ली के मंदिर मार्ग थाना पुलिस ने चाबी बनाने के बहाने घर में चोरी करने वाले “सिकलीगर गिरोह” का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गिरोह के सरगना 36 वर्षीय मंजीत सिंह निवासी प्रताप नगर, उदयपुर को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उनके पास से चोरी के गहने, चाभियां, ताला तोड़ने के उपकरण और पोर्टेबल सोना तौलने वाली मशीन का बरामद किया गया है। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की भी तलाश कर रही है।
नई दिल्ली के डीसीपी देवेश कुमार महला ने बताया कि शिक्षा विभाग में लैब असिस्टेंट ने एक शिकायत दी थी कि आलमारी के ताले में दिक्कत थी और उन्होंने 24 फरवरी को गली में घूमने चाभी-ताला बनाने वाले को बुलाया। आलमारी देखने के बाद उसेने बताया कि अलमारी के हैंडल की मरम्मत की जरूरत है और वह मरम्मत के लिए अगले दिन आएगा। वह 26 फरवरी को दोपहर जब पीड़ित अपने कार्यालय में था और उसके बच्चे घर पर मौजूद थे। तभी अपने साथी को लेकर आया और आलमारी बनाने के बहाने सोने के गहने और करीब 25 हजार रुपये नगद लेकर फरार हो गये।
डीसीपी ने बताया कि पीड़ित की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाली। फुटेज के में वारदात के बाद दोनों पहाड़गंज इलाके में गायब हो गये। इसके बाद पुलिस ने पहाड़गंज के सभी होटलों को खंगाला तो एक जगह वारदात में शामिल शख्स की फुटेज मिल गई। होटल के रजिस्टर में तीन संदिग्ध लोगों की एंट्री मिली। रजिस्टर में उनके द्वारा दिया गया मोबाइल नंबर बंद पाया गया। होटल के सीसीटीवी में घटना से ठीक पहले और बाद में उनके बाहर निकलने का फूटेज चेक किया गया। वे घटना के बाद बिना जांच किए ही होटल से भाग गए थे। लेकिन जांच में एक जगह आधार नंबर मिल गया जिसके आधार पर पुलिस ने मंजीत सिंह की पहचान की। आरोपी को पुलिस ने उदयपुर इलाके से सोमवार को गिरफ्तार कर लिया लेकिन उसके दो अन्य साथी फरार हैं। पूछताछ में मंजीत ने बताया कि वह समूह में दिल्ली सहित देश के अन्य महानगरों में जाते हैं। वहां छोटे छोटे होटलों में रुक कर शिकार तलाशते हैं और चोरी होते ही शहर छोड़कर फरार हो जाते हैं। आरोपी मंजीत सिंह पहले दिल्ली, राजस्थान और गुजरात के पांच मामलों में शामिल रहा है।
“सिकलीगर गिरोह” इंदौर और उदयपुर बांसवाड़ा से संचालित होता है। गिरोह के सदस्य दिल्ली आते थे और पुरानी और नई दिल्ली रेलवे स्टेशनों के पास होटलों में रुकते थे। दिन के समय, वे चाबी बनाने वाले बनकर रिहायशी इलाकों में जाते थे और घरों बाद में निशाना बनाते थे। गिरोह बंद और खाली घरों का भी पता लगाते थे। गिरोह वारदात को अंजाम देने के बाद वे तुरंत दिल्ली से चले जाते थे।
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