बस चला रहे शहीद जयमल की पत्नी ने कहा- हम लोग तो रोज मरते है, कुछ नही करेगी सरकार

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मोगा। पुलवामा में फिदाइन हमले में सीआरपीएफ की जिस बस के परखच्चे उड़ गए, उसे मोगा का जवान जयमल सिंह चला रहा था। हालांकि ड्राइविंग उसकी ड्यूटी का हिस्सा नहीं था, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने पहली स्टेयरिंग थामा था। शहादत का पता चला तो जालंधर सीआरपीएफ कैंप में रह रही पत्नी की हालत बिगड़ गई।
6 साल के बेटे साथ रोती-बिलखती रात करीब 3 बजे ससुराल पहुंची। उसका कहना है कि उन लोगों को तो रोज मौत आती थी। अब परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है, वहीं इलाके में मातम का माहौल है।
जिले के कस्बा कोट ईसे खां के निकटवर्ती गांव गलौटी में 26 अप्रैल 1974 को जन्मे जयमल सिंह 19 साल की उम्र में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। पत्नी सुखजीत कौर 6 साल के बेटे गुरप्रकाश सिंह के साथ जालंधर में सीआरपीएफ कैम्प में रहती थी और जयमल सिंह के माता-पिता गांव में। जिस वक्त आतंकी हमला हुआ, उनकी यूनिट एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट की जा रही थी। काफिले में एक बस को जयमल सिंह चला रहे थे। जैसे ही सीआरपीएफ की गाड़ियों का काफिला पुलवामा के निकट पहुंचा। इतने में एक आतंकी ने विस्फोट से भरी एसयूवी गाड़ी को जवानों की बस से भिड़ा दिया। धमाके में बस के परखच्चे उड़ गए। इस बस में अपने साथियों के साथ सवार जयमल सिंह शहीद हो गए।
पड़ोस में रहने वाली महिला ने बताया कि जयमल सिंह अक्सर फोन कर अपने बेटे से काफी देर तक बात करते थे। कल पापा-बेटे की बात नहीं हुई। इसके बाद जैसे ही जयमल सिंह के शहीद होने की खबर मिली उसकी हालत बिगड़ गई। रातभर से उनका रो-रोकर बुरा हाल है, वहीं शुक्रवार अलस्सुबह करीब 3 बजे 6 साल के बेटे के साथ ससुराल पहुंची।वहीं पत्नी ने जयमल सिंह दिसम्बर में छुट्‌टी आए थे और फिर 28 जनवरी को वापस गए। पत्नी ने बताया कि जयमल सिंह एमटी इंचार्ज थे और ज्यादातर दफ्तर में ही रहते थे। सुखजीत कौर के मुताबिक कल सुबह फोन आया कि वह कश्मीर जा रहे हैं। इसके बाद ज्यादा बात नहीं हुई और बाद में फिर बात करने की कहकर फोन काट दिया। दूसरी ओर पाकिस्तान के बारे में कहा, क्या कहूं? वो तो ऐसे ही हमले करते रहेंगे। सरकार ने कुछ नहीं करना। 4 दिन बात करेंगे बस, लेकिन उनकी तो दुनिया खत्म हो गई।

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