मंगनी की अंगूठी से हुई रोपड़ के शहीद कुलविंदर की पहचान

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रोपड़। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में ब्लास्ट के बाद हमारे वीरों के अंग छिन्न-भिन्न हालत में जहां-तहां बिखरे थे, जिनमें रोपड़ जिले के 28 वर्षीय कुलविंदर सिंह की पहचान हाथ में कुछ दिन पहले पहनी मंगनी की अंगूठी से हुई। 8 नवंबर को माता-पिता के इकलौते लाल की शादी की तारीख तय की जा चुकी थी।
नया घर बनाने के साथ तैयारियां शुरू हो चुकी थी, लेकिन इन खुशियों को, तैयारियों को अचानक ग्रहण लग गया। पिता दर्शन सिंह के तन पर बेटे की वर्दी वाली जैकेट थी, वहीं मुंह में बोलने के लिए एक शब्द भी नहीं। दिल पर पत्थर रख आखिर बात करना मजबूरी बन गया। साथ ही माता अमरजीत कौर का भी रो-रोकर बुरा हाल है।
24 दिसंबर 1992 को जिले के गांव रौली में जन्मे कुलविंदर ने 12वीं कक्षा के बाद आईटीआई की थी। फिर नंगल से एसी की आईटीआई करने के बाद 21 साल की उम्र में सीआरपीएफ की 92वीं बटालियन में सिपाही के रूप में भर्ती हो गए थे। इसके अलावा भी गांव के 14 जवान भारतीय सेना में सेवारत हैं, वहीं रिटायर्ड सैनिकों ने 40 शहीदों के खून का बदला लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कश्मीर में आर्मी को फ्री-हैंड कर देने की अपील की है। शुक्रवार को एसडीएम आनंदपुर साहिब हरबंस सिंह व डीएसपी आनंदपुर साहिब रमिंदर सिंह काहलों ने शहीद के घर पहुंचकर दुख सांझा किया।

परिजनाें ने बताया कि कुलविंदर हाल में 10 फरवरी को 10 दिन की छुट्‌टी काटकर वापस गए हैं। 14 फरवरी की सुबह आखिरी बार अपनी मंगेतर के साथ फोन पर बात भी की थी, वहीं इससे दो दिन पहले 12 फरवरी को घर पर आखिरी फोन किया था। फोन करके पिता को घर के रंग-रोगन का काम जल्दी खत्म कराने को कहा। अचानक गुरुवार रात करीब 11 बजे दर्शन सिंह को आर्मी हैड क्वार्टर से आए एक फोन पर कुलविंदर की शहादत के बारे में जानकारी दी।

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