उच्चतम न्यायालय ने मप्र सरकार में छह महिला न्यायाधीशों की सेवाएं समाप्त करने का संज्ञान लिया

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

उच्चतम न्यायालय ने असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण मध्य प्रदेश सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की सेवाएं समाप्त कर दिये जाने का शुक्रवार को संज्ञान लिया और संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया। न्यायालय ने बर्खास्त न्यायिक अधिकारियों को भी नोटिस जारी किये और उन्हें अपना पक्ष रिकॉर्ड पर रखने को कहा।

 

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने मामले का संज्ञान लिया है। इस मामले को रिट याचिका मानने का निर्णय लिया गया है। पीठ ने इस मामले में सहायता के लिए अधिवक्ता गौरव अग्रवाल को न्यायमित्र नियुक्त किया है।

 

अग्रवाल ने कहा कि पिछले साल छह न्यायिक अधिकारियों को बर्खास्त किया गया था, जिनमें से तीन ने शीर्ष अदालत को अपनी अर्जी भेजी है, लेकिन इन्होंने अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की है, जो अभी लंबित हैं।

उन्होंने कहा कि तीन पूर्व न्यायिक अधिकारियों ने पिछले वर्ष शीर्ष अदालत में रिट याचिका दायर की थी, लेकिन बाद में उन्होंने उसे वापस ले लिया था। न्यायमूर्ति करोल ने कहा कि चूंकि यह मामला उच्च न्यायालय में लंबित है तो सबसे पहले यह निर्धारण करना होगा कि क्या शीर्ष अदालत इसकी सुनवाई कर सकती है। छह पूर्व न्यायिक अधिकारियों में से एक ने मामले में पक्षकार बनाये जाने की याचिका दायर की है। इनकी ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस. पटवालिया ने कहा कि चूंकि शीर्ष अदालत ने मामले का संज्ञान लिया है, इसलिए उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को एक नोटिस जारी किया जाना आवश्यक है। अग्रवाल ने दलील दी कि जब शीर्ष अदालत में दायर रिट याचिका वापस ले ली गयी थी, तब तीन पीड़ित अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उच्चतम न्यायालय ने इस मामले का संज्ञान पहले ही ले लिया था।

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