तरूण तेजपाल शीर्ष सैन्य अधिकारी के खिलाफ मानहानि वाले लेख पर माफी मांगेंगे : अदालत को बताया गया

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

समाचार पोर्टल तहलका के मालिक तरूण तेजपाल ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को अवगत कराया कि वह एक राष्ट्रीय दैनिक में अपना यह माफीनामा प्रकाशित करेंगे कि भारतीय सेना के अधिकारी ने घूस की कोई रकम नहीं ली थी, जिनके खिलाफ उन्होंने (तेजपाल ने) रक्षा खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये थे।

अदालत ‘तहलका डॉट कॉम’ के मालिक तेजपाल और उसके रिपोर्टर अनिरुद्ध बहल की ओर से दायर उस अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी थी। एकल पीठ ने समाचार पोर्टल पर 2001 में प्रकाशित एक समाचार से मेजर जनरल एम.एस. अहलूवालिया की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान की भरपाई के लिए तेजपाल को इस सैन्य अधिकारी को दो करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था।

इसके खिलाफ तेजपाल और बहल ने खंडपीठ का रुख किया। उच्च न्यायालय ने एकल पीठ के संबंधित आदेश पर अमल को लेकर मेजर अहलुवालिया की याचिका की सुनवाई पर भी रोक लगा दी। तेजपाल और बहल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं- सिद्धार्थ लुथरा और प्रमोद कुमार दुबे ने उच्च न्यायालय को यह भी बताया कि वे दो सप्ताह के भीतर अदालत में 10-10 लाख रुपये जमा करने और एक अंग्रेजी दैनिक में बिना शर्त माफीनामा प्रकाशित करने के इच्छुक हैं, जिसमें उल्लेख किया गया हो कि अहलूवालिया ने न तो घूस की मांग की थी और न ही स्वीकार की थी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने तेजपाल और बहल के वकीलों के वचन को रिकॉर्ड पर लिया और अपील को अंतिम सुनवाई एवं निपटारे के लिए अप्रैल में सूचीबद्ध किया।

दोनों ने अनुरोध किया है कि उनके पास अहलूवालिया को दो करोड़ रुपये की बड़ी रकम देने का साधन नहीं है। अहलूवालिया के वकील ने दलील दी कि अपील सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिकारी लगभग 22 वर्षों से इस कलंक के साथ जी रहा है और केवल माफी पर्याप्त नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि तेजपाल और बहल को पर्याप्त राशि जमा करनी होगी। पीठ ने कहा कि ऐसे मानहानि मामले में माफी एक बड़ी राहत है और वह अपील पर सुनवाई करते समय नुकसान के पहलू पर विचार करेगी। समाचार पोर्टल ने 13 मार्च 2001 को नए रक्षा उपकरणों के आयात से संबंधित रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एक खबर प्रकाशित की थी।

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