खुद के हाथ नही होने के बाद भी रहनुमा के पास है अंधे छात्रों की मदद करने का जज्बा

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चंडीगढ़। अगर जज्बा हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं और अगर किसी की मदद करने की ठान ली जाए तो फिर सब कुछ मुमकिन है। 17 साल की रहनुमा खुद डिसेबल हैं, लेकिन ब्लाइंड स्टूडेंट्स की मदद करने का उनका जज्बा काबिलेतारीफ है।
गवर्नमेंट माॅडल स्कूल-8 में 11वीं की स्टूडेंट रहनुमा के दोनों हाथ नहीं हैं। बावजूद इसके वह पैरों से लिखती हैं। अब वह ब्लाइंड स्टूडेंट्स की राइटर बनने की प्रैक्टिस कर रही हैं। रहनुमा कलेक्टर बनने की इच्छा रखती है।
रहनुमा के बचपन से ही हाथ नहीं हैं। जब वह 3 साल की हुई तो पिता शफीक अहमद और मां गुलनाज बानो की मदद से उसने पैरों से लिखना शुरू किया। शुरुआत चॉक और कोयले से हुई।
पेरेंट्स ने रहनुमा के पैरों में चॉक थमाया और जमीन पर लिखना शुरू किया। क्लास में हमेशा उसने अपने पैरों से एग्जाम दिया और नॉर्मल स्टूडेंट्स के साथ कंपीट करते हुए एक्सट्रा टाइम भी नहीं मांगा।
5वीं क्लास में ड्रॉइंग टीचर अमित ने रहनुमा की बेहतरीन लिखावट को देखते हुए उसे ड्रॉइंग सिखाने का फैसला किया। रहनुमा ने कहा कि टीचर अमित उन्हें कई कंपीटिशंस में लेकर गए। पिछले पांच सालों में 13 प्राइज और दो अवॉर्ड हासिल कर चुकी हैं और ट्रैफिक पुलिस तक से सम्मानित हो चुकी हैं।
ड्रॉइंग टीचर पूनम रानी ने उनके पैरों में पेंटिंग ब्रथ थमाया और अब रहनुमा ने पेंटिंग करनी शुरू कर दी है। उधर, रहनुमा ने कहा कि 10वीं क्लास में उन्होंने स्कॉलरशिप का एग्जाम दिया। इस दौरान ब्लाइंड स्टूडेंट्स भी वहां मौजूद थे और बोलकर अपने राइटर को बता रहे थे, तब अहसास हुआ कि वह भी इस तरह मदद कर सकती है।
रहनुमा के जज्बे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रहनुमा की कुल 4 बहनें और 3 भाई अपने पेरेंट्स के साथ एक ही झुग्गी में रहते हैं। यह झुग्गी मौली जागरां की राजीव कालोनी मे है और रहनुमा के पिता मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से कुल 9 लोगों का खर्चा उठा रहे हैं। घर की माली हालत का आलम कुछ यूं है कि रहनुमा के स्कूल की दूसरी यूनिफॉर्म लेने तक के पैसे उनके पास नहीं है। अगर आप रहनुमा की मदद करना चाहते हैं तो आप गवर्नमेंट मॉडल स्कूल-8 की प्रिंसिपल रंजना श्रीवास्तव से 0172-2700274 पर संपर्क कर सकते हैं।

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