एसएफडी ने जेएनयू में परिसर में पक्षियों के लिए सकोरे रखने की मुहीम चला कर पथ्वी दिवस की शुरुवात की

नई दिल्ली: स्टूडेंट्स फ़ॉर डेवलपमेंट की जेएनयू इकाई ने पृथ्वी दिवस के अवसर पर विश्विद्यालय परिसर में पक्षियों और नीलगाय समेत अन्य जानवरों के लिए जल-पात्र रखकर छात्र समुदाय में प्रकृति व उसके जीव-जंतुओं के प्रति अपने कर्तव्यों का आवाह्न कर शुरुवात कर रही हैं। एसएफडी जेएनयू के कार्यकर्ताओं ने जेएनयू के छात्रों के साथ मिलकर इस मुहिम की इन गर्मियों के आने के साथ ही शुरुवात की है और ऐसे 45 स्थानों को चिन्हित कर जहां सबसे अधिक पक्षी व जानवर भृमण करते हैं, इन पात्रों को रखने का कार्य शुरू किया है तथा साथ ही आपस में इस जिम्मेदारी का वितरण भी किया कि कौन किस स्थान पर विशेषरूप से प्रभारी होगा, जिसका कार्य संबंधित स्थल पर जल की सुनिश्चितता तय करने का होगा। एसएफडी-जेएनयू ने इस पहल के माध्यम से परिसर में छात्र समुदाय को पुनः जागृत करने का बीड़ा उठाया है, और कार्यकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि विभिन्न माध्यमों से हम समुदाय के बीच पहुँचकर इस कार्य को प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य करते रहेंगे।

ज्ञात हो की स्टूडेंट फॉर डेवलपमेंट या विकासार्थ विद्यार्थी (एसएफडी), प्रतिवर्ष जेएनयू परिसर में गर्मियां आते ही पक्षियों के लिए पानी के सिकोरे रखने की मुहीम वर्षों से चलता आ रहा हैं, जिसमे अनेकों की संख्या में प्रतिवर्ष छात्र उनके साथ जुड़ते हैं। इसके अलावा पर्यावरण से अन्य महत्वपूर्ण कार्य कारण की भी जिम्मेदारी वर्षों से सफद लेता आया है, इसी प्रकार जेएनयू के अंदर चंद्रभागा झील की जीर्णोध्दार का बीड़ा भी विकासार्थ विद्यार्थी ने लिया है।

एसएफडी- दिल्ली के संयोजक मंजुल पँवार ने बताया कि हमने पूरे दिल्ली में आम जनमानस को प्रकृति से जोड़ने का लक्ष्य लिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एसएफडी दिल्ली ने एक सतत जीवन जीने के लिए कुछ सुझाव साझा किए, जिसमें कम से कम एक पौधा लगाना, कचरे से खाद बनाना, पक्षियों के लिए पानी का बर्तन रखना तथा भोजन को बर्बाद न करने की मुहीम शामिल हैं।

वहीं एसएफडी जेएनयू की संयोजिका किरन परिहार ने कहा कि इस देश में सभी प्राणियों के प्रति अपनत्व का भाव यहाँ की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा। इसका जीता-जागता उदाहरण हमारे साहित्य लेखन में स्पष्टरुप से दिखाई पड़ता है। खासतौर से पक्षियों में चातक (पपीहा) नामक जीव का मनोहक वर्णन पक्षियों के प्रति हमारे प्रेम देखभाल की परंपरा को दर्शाता है। आगे उन्होंने कहा कि अब ये भाव जनमानस में कहीं धुंधला होता जा रहा है जिसका परिणाम आज इन जीवों की कम होती संख्या के रूप में देखा जा सकता है। एसएफडी जेएनयू ने इस पहल के माध्यम से हमारे परिसर में छात्र समुदाय को पुनः जागृत करने का बीड़ा उठाया है और हमें उम्मीद है कि विभिन्न माध्यमों से हम समुदाय के बीच पहुँचकर इस कार्य को प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य करते रहेंगे।

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