कुंभ: आस्था की डुबकी के लिए तैयार हुआ संगम

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प्रयागराज (इलाहाबाद). तीर्थराज प्रयाग आस्था के संगम के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है। देश ही नहीं दुनिया के कई देशों से श्रद्धालु यहां पवित्र स्नान के लिए पहुंचेंगे।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जहां तीन नदियों का संगम होता है वह स्थान महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रयाग संगम पर गंगा और यमुना नदी अलग-अलग नजर आती है,लेकिन कहते हैं कि उसी में सरस्वती भी मिली हुई है जो कि अलग नजर नहीं आती हैं।
सरस्वती नदी के साथ अद्भुत ही बात है। प्रत्यक्ष तौर पर सरस्वती नदी का पानी कम ही स्थानों पर देखने को मिलता है। इसका अस्तित्व अदृश्य रूप में बहता हुआ माना गया है।
प्रत्येक बारहवें वर्ष पूर्ण कुंभ का तथा प्रत्येक छठे वर्ष अर्धकुंभ मेलों का त्रिवेणी संगम पर आयोजन होता है। सद्भाव, सौहार्द, सामाजिक समरसता का प्रतीक त्रिवेणी पथ का महापर्व प्रयाग कुंभ मेला छुआछूत, जातीयता, साम्प्रदायिकता से परे और सहिष्णुता की जीती जागती मिसाल है।
महापर्व में विभिन्न अखाड़ों के साधु अपनी शिष्य मंडली सहित पूरे स्नान पर्वों के दौरान उपस्थित रहते हैं। प्रथम स्नान से लेकर अंतिम स्नान तक रामायण, महाभारत, श्रीमद्भागवत, वेद, उपनिषदों तथा पुराणों के आख्यान सुनने को मिलते हैं।
इस बार त्रिवेणी संगम पर अर्धकुंभ का मेला आयोजित हो रहा है। अधिकारियों की माने तो लगभग 15 करोड़ लोग संगम पर स्नान करने के लिए जुटेंगे।

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