कम्पिल/फर्रुखाबाद (राष्ट्रीय जजमेंट संवाददाता) माँ की चिता में मुखाग्नि सिर्फ बेटा ही दे सकता है बेटियां चिता को आग नहीं लगा सकतीं। इस सामाजिक सोच से ऊपर उठकर फर्रुखाबाद जिले में नगर कम्पिल मोहल्ला गढ़ी में एक बेटी ने न सिर्फ माँ की अंतिम शवयात्रा में कंधा लगाया बल्कि मुखाग्नि प्रदान कर बेटा होने का फर्ज निभाया। अंतिम संस्कार की सारी रस्में खुद निभाई। समाज की रूढिवादिता से ऊपर उठकर बेटी ने समाज को एहसास करा दिया कि बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं होता।
नगर कम्पिल के मोहल्ला गढ़ी में प्रभा के पिता पप्पू पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी परिवार में माता किशना देवी बड़ी बहन पहले ही मौत हो चुकी है बड़ी बहन की लड़की उम्र करीब 7 बर्ष चोटी लड़की प्रभा अपने माँ के परिवार में 3 सदस्यों के साथ रहती थी प्रभा के कोई भी भाई नहीं है बेटी प्रभा ने कहा मै अपनी माँ को मुखाग्नि दूंगी। लोगों ने निगाहथी बेटी प्रभा शाक्य की जो अपने माँ की लाडली बहुत रही। प्रभा शाक्य का कहना है कि उनकी माँ ने हमेशा हमेशा बेटे जैसा प्यार दिया तो उसने भी बेटी के साथ बेटे का फर्ज निभाया है।
वह इस बात पर काफी संतुष्ट दिखी कि नगर वासियों ने उसके इस निर्णय पर भरपूर साथ दिया। सभी लोग उसके निर्णय के साथ खड़े दिखाई दिए। चिता को मुखाग्नि सिर्फ बेटे ही दे सकते हैं बेटियां नहीं बेटी प्रभा शाक्य ने माँ की अंतिम संस्कार की सारी रस्में निभा कर समाज को आईना दिखाने का काम किया है। बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं होता जब बेटे नहीं होते हैं तो बेटियां माता-पिता की सहारा बनती हैं। बेटी प्रभा शाक्य ने सही समय पर सही निर्णय लेकर माँ की चिता में मुखाग्नि देकर सराहनीय काम किया है। रूढि़वादी सोच से ऊपर उठकर बेटी प्रभा शाक्य ने माँ का अंतिम संस्कार कर समाज को सही दिशा दिखाई है। बेटियां भी बेटों से कम नहीं है।
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