शीतकालीन सत्र में पहले दिन शोक प्रस्ताव के बाद कार्यवाही स्थगित, सपा ने विधान भवन के बाहर किया प्रदर्शन

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में आज पहले दिन विधानसभा और विधान परिषद में भाजपा एमएलए राम कुमार वर्मा के निधन पर शोक जताया गया। पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को श्रद्धांजलि देने के बाद विधान परिषद की कार्यवाही बुधवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में आज पहले दिन समाजवादी पार्टी ने जोरदार प्रदर्शन किया। समाजवादी पार्टी के विधायकों व विधान परिषद सदस्यों ने विधान भवन के बाहर प्रदर्शन किया।
विधानसभा सत्र के पहले दिन सत्र शुरू होने से पहले ही सपा के सदस्यों का धरना प्रदर्शन शुरू। विधानसभा में चौधरी चरण सिंह की मूर्ति के पास समाजवादी पार्टी के सदस्य प्रदर्शन कर रहे थे।
समाजवादी पार्टी ने आज विधान भवन के सामने खराब कानून-व्यवस्था के साथ किसानों के मुद्दे पर प्रदर्शन किया। सपा के विधायक प्याज, आलू की माला पहनकर धरने पर बैठे। इसके साथ ही सपा के कई विधायकों ने अनाज की टोकरी सर पर प्रदर्शन करने के साथ साथ गन्ना किसानों की समस्या उठाई।
पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि विपक्ष इतनी कम अवधि तक सत्र चलाने के पक्ष में नहीं है लेकिन, सरकार इस मूड में नहीं है कि सत्र आगे तक चले। विपक्षी दलबुलंदशहर में इंस्पेक्टर की हत्या समेत कई ऐसे मामले पर आक्रामक होंगे।
सरकार को घेरने के लिए विपक्ष की जोरदार तैयारियों को देखते हुए संकेत मिले हैं कि शीतकालीन सत्र में काफी गरमा-गरमी रहेगी। सरकार ने विशेष रूप से द्वितीय अनुपूरक बजट के लिए शीत कालीन सत्र बुलाया है।
इस अवधि में वह अपनी सभी कार्यवाही पूरी करना चाहती है लेकिन, लोकसभा चुनाव को देखते हुए विपक्ष विभिन्न मुद्दों पर हंगामा कर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहता है। बुलंदशहर में इंस्पेक्टर की हत्या, राजधानी में भाजपा नेता की हत्या, नोएडा में सर्राफ समेत कई बड़ी लूट और प्रदेश भर में कानून-व्यवस्था से जुड़े मामलों को लेकर विपक्ष हमलावर रहेगा।
कल कार्य मंत्रणा की बैठक के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि 18 से 21 दिसंबर तक सदन के कार्यक्रमों पर चर्चा हुई । आज भाजपा सदस्य राम कुमार वर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी एवं पूर्व सदस्यों को शोकांजलि अर्पित करने के बाद सदन स्थगित कर दिया गया। बुधवार को 12.20 बजे अनुपूरक बजट पटल पर रखा जाएगा। शुक्रवार को सदन में लंबित 103 संकल्पों पर चर्चा कराई जाएगी। शेष कार्यक्रमों के लिए कार्य मंत्रणा की फिर बैठक होगी।
विधानसभा का शीतकालीन सत्र सिर्फ चार दिन चलने की सूचना पर विपक्ष ने सवाल खड़े किये हैं। बसपा नेता लालजी वर्मा ने कहा कि सदन का सत्र बढ़ाया जाना चाहिए। विपक्षी नेताओं का कहना है कि सत्र इसलिए कम किया गया है ताकि गंभीर मुद्दों पर सरकार की विफलता पर सवाल न उठ सके।

सपा के इकबाल महमूद, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन और कांग्रेस दल नेता अजय कुमार समेत कई नेताओं ने सत्र की अवधि कम करने पर सवाल उठाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम चाहते हैं कि सदन व्यवस्थित रूप से चले। विधायक जनता की समस्याओं को सदन के सम्मुख उठाएं ताकि उसका समाधान निकल सके। सरकार सभी विषयों पर चर्चा कराने के लिए तैयार है। सदन में आरोप-प्रत्यारोपके साथ टोका-टोकी होती है जिससे प्रदेश की जनता के बीच विधायकों के प्रति गलत संदेश जाता है।
सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कल सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। दीक्षित ने सभी दलों से सहयोग मांगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन में मुद्दों पर आधारित बहस हो और
सदन की कार्यप्रणाली दूसरे सदनों के लिए भी अनुकरणीय बने। उन्होंने दलीय नेताओं से अपील की कि मुद्दों एवं तथ्यों पर आधारित सभी महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करें। सरकार समाधान और चर्चा के लिए तैयार है।
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि सभी जनप्रतिनिधि शालीनता और संसदीय मर्यादा के साथ अपना पक्ष रखें। प्रेमपूर्ण वातावरण में सदन में बहस हो। दीक्षित ने व्यक्तिगत आक्षेप से सदस्यों को बचने की सलाह दी और सत्र को बिना किसी अवरोध चलाए जाने की अपील की।
नेता विरोधी दल राम गोविन्द चौधरी के अस्वस्थ होने के कारण बैठक में विधानसभा में सपा के उप नेता इकबाल महमूद, नेता बसपा लालजी वर्मा, नेता कांग्रेस अजय कुमार लल्लू और नेता अपना दल नील रतन पटेल ने विचार प्रकट किये। लालजी वर्मा ने हर संभव सहयोग देने का भरोसा दिया। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सभी दलीय नेताओं से सहयोग मांगा। इस मौके पर विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे भी मौजूद थे।
समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाने वाले पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव पर इस बार निगाहें रहेंगे। डेढ़ वर्षों में सदन में उनकी मौजूदगी कुछ खास नहीं रही। चूंकि अब वह खुद एक पार्टी बनाकर मैदान में कूद पड़े हैं, इसलिए सरकार के प्रति उनके रवैये को लेकर अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। वह कहां बैठेंगे और सरकार के प्रति किस तरह का व्यवहार रखेंगे, यह देखना है।

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