बिजली विभाग में दिया गया ग़लत डेटा और बढ़ायी गयी बिजली दरें, दो महीने में 1 करोड़ 7 लाख बढ़ाये उपभोक्ता

यूपी में गरीबी रेखा वाले कितने उपभोक्ता है जो बिजली जलाते है। उत्तर प्रदेश नियामक आयोग ने पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन एम देवराज से आदेश कर इसकी जांच करने को कहा है। दरअसल, बिजली दर बढ़ाने के लिए कंपनियों की तरफ से दलील दी गई थी कि उनके यहां लाइफ लाइन (आर्थिक रुप से कमजोर) उपभोक्ताओं की संख्या 1 करोड़ 39 लाख है।
अप्रैल 2022 में महज 32 लाख उपभोक्ता
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि विभागीय आंकड़ों में अप्रैल 2022 तक लाइफ लाइन उपभोक्ताओं की संख्या महज 32 लाख थी। ऐसे में दो महीने के अंदर एक करोड़ 7 लाख रुपए कहां से आ गए। जबकि कुल उपभोक्ताओं की संख्या बहुत ज्यादा नहीं बढ़ी है। ऐसे में यह सब खेल आम लोगों से ज्यादा पैसा वसूलने का है। उपभोक्ता परिषद पहले ही यह आरोप लगाता आया है कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 22 हजार करोड़ रुपए निकल रहा है। ऐसे में बिजली महंगी होने की जगह पर सस्ती होनी चाहिए।

बिजली महंगी करने के लिए दिया गलत डेटा
यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने इसको लेकर नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि आंकड़ों में हेरफेर किया गया है। जिससे कि बिजली महंगी करने में मदद मिले। गरीबी रेखा वालों को एक किलोवाट का कनेक्शन दिया जाता है। इसमें 100 यूनिट तक उनको 3 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान करना होता है। अगर सच में एक करोड़ 39 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे वाले हैं, तो उनमें से एक करोड़ 20 लाख लोगों से प्रति यूनिट 3.35 रुपए लिए गए। यानी 100 यूनिट बिजली जलाने के बाद एक उपभोक्ता से 35 रुपए ज्यादा लिए गए हैं।

एक साल में 4392 करोड़ रुपए का खेल हुआ
अवधेश वर्मा का आरोप है कि अभी तक सरकार गरीबी रेखा से नीचे वाले उपभोक्ताओं के लिए 483 करोड़ रुपए की सब्सिडी देती थी। मगर, अब 1 करोड़ 39 लाख के आधार पर 4,875 करोड़ देने की बात कह रही है। ऐसे में कुल 4392 करोड़ रुपए का अंतर आ रहा है। उनका कहना है कि यह बात समझ से परे है कि रातों-रात कागज में कैसे गरीबों की संख्या बढ़ गई। अगर एक किलोवाट वाले ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं को सौभाग्य (गरीबी रेखा वाला कनेक्शन) में शामिल कर लिया गया है, तो बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है।

तीन साल से हो रही ज्यादा वसूली
करीब 3 सालों से इन उपभोक्ताओं से 100 यूनिट खर्च पर 3 .35 रुपए प्रति यूनिट से वसूली हुई है। जबकि गरीबों से 100 यूनिट तक 3 प्रति यूनिट के हिसाब से चार्ज होता है। उसका फिक्स्ड चार्ज भी 50 रुपए आता है। मगर, 19 लाख लोगों को छोड़ दिया जाए, तो बाकी एक करोड़ 20 लाख बिजली जलाने वालों से प्रति यूनिट 35 पैसा और फिक्स चार्ज पर 40 रुपए ज्यादा वसूला गया है। आम उपभोक्ता फिक्स चार्ज पर 90 रुपए प्रति यूनिट का भुगतान करना है। इसकी वसूली बिजली कंपनियों से होनी चाहिए।

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