मेरठ नगर निगम में भ्रष्टाचारी ही भ्रष्टाचार

मेरठ नगर निगम भ्रष्टाचारी ही भ्रष्टाचार फर्जीवाड़ा ही फर्जीवाड़ा सहायक नगर आयुक्त बृजपाल सिंह की देखरेख में संपत्ति विभाग का कार्य चल रहा है पीसीएस अधिकारी होने के बाद नगर निगम में इस अधिकारी ने भ्रष्टाचार फैला रखा है फाइल गायब हुई और पत्रावली भी गायब हो गई यह है एक शौचालय जिसको दुकान के रूप में आवंटित करा दिया गया जिसमें उसने अपने बाबू से 12000 अथवा 12000 की दो रसीद काट दी गई |
दूसरा प्रकरण घंटाघर पर खादी आश्रम की दुकान जिसमें पांच दुकानों की लगभग 15 दुकानें दूसरे आवेदनों के नाम रसीद काट दी गई उसमें भी बहुत बड़ा घोटाला हुआ एक मामला पिछला चल रहा है जिसमें पाल होटल के नाम से रसीद चलती थी और होटल चलता था अब उसमें लगभग 30 दुकानें बन गई हैं जिनको नाम परिवर्तन कर दी गई और लगभग एक दुकान से ₹1000000 की रिश्वत इन अधिकारियों को मिल गई है तो इतने बड़े घोटाले मेरठ नगर निगम में होते आए हैं और होते रहेंगे लेकिन प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार चल रही है उसके बावजूद भी इन अधिकारियों में खौफ नहीं है |
क्योंकि अब आचार संहिता लग रही है और अधिकारी इस फिराक में है कि यह सरकार बदल जाए तो हमारा भ्रष्टाचार अपना रूप धारण कर ले तो यह मेरठ नगर निगम का हाल जिसमें करोड़ों रुपया सफाई के नाम पर केवल फाइलों में ही पूरा करा दिया जाता है और केवल थोड़ा बहुत जो सफाई होती है वह नालों में गोबर निकालने के काम आती है जबकि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार अभी तक शहर से डेयरी बाहर नहीं भेजी गई है क्योंकि महीना मोटा आता है इसमें नगर आयुक्त अपर नगर आयुक्त और सहायक नगर आयुक्त सब मिले हुए हैं सब के पास महीना पहुंचता है इसीलिए डेरी बाहर नहीं जा रही और नाले से सफाई के नाम पर गोबर निकाला जाता है बरसात में यह बीमारी का रूप धारण कर लेता है नाला जिससे डेंगू चिकनगुनिया अन्य बुखार अपना भयंकर रूप धारण कर लेते हैं और मेरठ में बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जाता है |
राष्ट्रीय जजमेंट की संवाददाता पप्पी चौधरी की खास खबर

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