हाथरस रेप पीड़ित के परिवार ने ठुकराया विधायकी का टिकट, पढ़िए क्या है वजह

कांग्रेस ने ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ के नारे पर अमल करते हुए यूपी में योगी सरकार में यातना का शिकार हुईं कई महिलाओं को विधानसभा टिकट दिए हैं। दरअसल, यह नारा कांग्रेस की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा है। उन्नाव और हाथरस रेप पीड़ित के परिवार की किसी महिला को टिकट देकर कांग्रेस यूपी की योगी सरकार के खिलाफ चुनाव के मैदान में भाजपा के ऊपर हमलावर होना चाहती थी।
कांग्रेस अपनी मुहिम के तहत उन्नाव रेप पीड़ित की मां आशा सिंह को मनाने में तो कामयाब रही, लेकिन हाथरस की रेप पीड़ित के परिवार ने माफी और विनम्रता के साथ पार्टी का ऑफर ठुकरा दिया है। दरअसल, हाथरस रेप पीड़ित का परिवार सहमा हुआ है कि अगर टिकट ले लिया, तो कहीं कोर्ट केस में कोई बाधा न पहुंचे। उससे भी बड़ा डर उन्हें अपनी सुरक्षा का है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हाथरस रेप पीड़ित की भाभी या मां को टिकट देने की बात चल रही थी।
रेप पीड़ित के भाई ने कहा- राजनीति में आए, तो इंसाफ का रास्ता मुश्किल होगा
रेप पीड़ित के भाई संदीप से जब इस बारे में बात की गई, तो उन्होंने पहले तो टिकट के ऑफर की बात पर टालमटोल किया, लेकिन फिर खुलकर कहा, ‘आशा सिंह की बेटी का आरोपी जेल में है। अभी हम केस लड़ रहे हैं। अगर राजनीति में आए तो फिर हमारे खिलाफ भी राजनीति होगी। केस कमजोर करने की कोशिश होगी।
दूसरी बात सुरक्षा में तैनात जवान उसी सरकार के हैं, जिसके खिलाफ कांग्रेस हमें खड़ा करना चाहती है। सवाल भरे लहजे में वह कहते हैं कि जिनसे सुरक्षा लेंगे, उनके खिलाफ क्या लड़ाई की जा सकती है?’
गांव में 4 दलित परिवार, बाकी घर ठाकुरों- ब्राह्मणों के, हम कहां जाएंगे
रेप पीड़ित के भाई ने स्पष्ट शब्दों में कहा, ‘हमारे गांव में 4 घर दलितों के हैं। पूरे गांव में करीब सवा सौ परिवार रहते हैं। बाकी घर ठाकुर और ब्राह्मणों के हैं। रेप का आरोप जिन पर लगा है वे भी ठाकुर हैं। हमारे साथ वैसे भी हादसे के वक्त कोई खड़ा नहीं हुआ।
अब तो गांव में हम सीधे निशाने पर हैं। आरोपी इतने दबंग थे कि सरकार को सुरक्षा देनी पड़ी। तो फिर आप ही बताओ चुनाव लड़कर हम कहां जाएंगे। और तो और, आसपास के 22 गांव ठाकुरों के ही हैं।

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