उदयपुर, खजुराहो इण्टर सिटी का परिचालन हुआ बंद

अग्रिम आदेशों तक आगरा, उदयपुर के बीच दौड़ेगी

महोबा 5 मई। खजुराहों, उदयपुर के बीच चलने वाली इण्टर सिटी एक्सप्रेस आज यानी गुरूवार से खजुराहों और आगरा के बीच इसका परिचालन बंद हो जायेगा और यह एक्सप्रेस गाड़ी अगले आदेशों तक आगरा और उदयपुर के बीच ही दौड़ लगायेंगे। कोविड 19 के दृष्टिगत मानकपुर और झांसी रेलखण्ड के दरमियान बीते कुछ दिनों के भीतर एक-एक करके कई रेल गाडि़यों का परिचालन बंद हो गया है इनमें पेसैंजर और एक्सप्रेस ट्रेनें शामिल है।

कोरोना की पहली लहर में इस ट्रेन को लम्बे समय के लिये बंद किया गया था, हालात सामान्य होने के बाद कुछ महीने पहले इसे फिर से शुरू किया गया था और कोरोना की दूसरे साल आयी लहर ने फिर से ट्रेनां के पहिये थामना शुरू कर दिये है और एक-एक करके अधिकांश ट्रेनों का परिचालन बंद होता चला जा रहा है अब यहां रेलवे प्रशासन के आये नये आदेशों में खजुराहों, उदयपुर इण्टर सिटी एक्सप्रेस को गुरूवार से अगले आदेशों तक परिचालन ठप्प किया गया है। यह ट्रेनें आगरा से खजुराहों, खजुराहों से आगरा तक नही चलेगी।

बल्कि आगरा से उदयपुर, उदयपुर से आगरा के बीच अगले आदेशों तक दौड़ लगाती रहेगी। उधर अप्रैल के आखिरी सप्ताह में झांसी, मानिकपुर रेल खण्ड में दौड़ने वाली दो पैसेंजर गाडि़यों को भी अग्रिम आदेशों तक के लिये रेलवे प्रशासन ने बंद कर दिया है। ट्रेनें ऐसे समय में बंद की जा रही है जब लॉकडाउन के बीच महानगरों में फंसे प्रवासी मजदूर अपने घर वतन को लौटने की जद्दोजहद कर रहे है ऐेसे में ट्रेनों का लगातार बंद होना प्रवासी मजदूरों के लिये आवागमन की परेशानी लेकर सामने आया है। पिछले साल के लॉकउाउन में परदेश में फंसे प्रवासी मजदूरों को अपने घर लौटने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था,

यातायात के साधन बंद हो जाने के बाद उन्हें सैकड़ों किलो मीटर की यात्रा पैदल पूरी करना पड़ी थी, चलते, चलते उनके पांव थक गये थे और छाले पड़ गये थे लेकिन घर पहुंचने की जिजीविषा ने उन्हें न थकने दिया था न ठहरने दिया था और न रूकने दिया था यह उनके अदम्य साहस का ही प्रतिफल था कि वे बिना थके, रूके, घर वापस लौट आये। लॉकडाउन के कटु अनुभव ने उन्हें एक नई सीख भी दी थी,

और उन्होंने यह तय किया था कि हालात और परिस्थितियां अब चाहे जिस तरह की निर्मित हो वे अब दोबारा वतन छोड़कर परदेश कमाने के लिये नही जायेंगे लेकिन बाद में कोरोना का जोर कम पड़ा और बंद फैक्ट्रियां का परिचालन फिर से शुरू हुआ तो एक बार फिर गांव के लोग मजदूरी के सिलसिले में महानगरों को चले गये थे। अब उनके सामने फिर कोरोना की दूसरी लहर में रोजी, रोटी का संकट खड़ा किया है। तो वे फिर घर गांव को वापस लौट रहे है। ऐसे में आवागमन के साधनों का बंद हो जाना उनके सामने विकट समस्या लेकर आ खड़ा हुआ है।

राष्ट्रीय जजमेंट के लिये महोबा से काजी आमिल की रिपोर्ट

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