देश को विश्व गुरु बनाने का दंभ भरने वाले शासकों ने, तोड़ी 16 वर्ष पुरानी परंपरा

कहा जा रहा है कि मोदी सरकार को 16 साल पुरानी परंपरा मजबूरी में बदलनी पड़ी है, जिसमें विदेशी उपहार, दान और मदद नहीं लेने का फ़ैसला किया गया था.

लेकिन तेज़ी से फैलते कोरोना संक्रमण और उससे होने वाली मौतों के कारण भारत में कई बुनियादी चीज़ों के लिए मारामारी की स्थिति है. भारत में मेडिकल ऑक्सीजन, दवाइयां और कई तरह के उपकरण नाकाफ़ी साबित हो रहे हैं.

16 साल पहले मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने सुनामी संकट के समय फ़ैसला किया था कि भारत अब अपने दम पर अपनी लड़ाई लड़ सकता है, इसलिए किसी विदेशी मदद को नहीं स्वीकार किया जाएगा. लेकिन अब हालत यह है कि मोदी सरकार बांग्लादेश और चीन से भी मदद लेने को तैयार है.गुरुवार को भारत के विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने विदेशी मदद स्वीकार करने के फ़ैसले का बचाव किया

और पत्रकारों से कहा कि लोगों की ज़रूरतें पूरी करने के लिए जो भी करना होगा, सरकार करेगी.सरकार ने किया बचाव श्रृंगला ने कहा कि यह बहुत ही संकट का समय है. यह पहली बार है जब सरकार की ओर से इसका सार्वजनिक रूप से बचाव किया गया है.

श्रृंगला ने विदेशी मदद लेने का बचाव करते हुए कहा, ”हम इसे किसी नीति के तौर पर नहीं देख रहे हैं. हमने भी लोगों की मदद की है और हमें अब मदद मिल रही है. यह दिखाता है कि पूरी दुनिया एक दूसरे पर निर्भर है. इससे यह भी पता चलता है कि पूरी दुनिया साथ मिलकर काम कर रही है.”

गुरुवार को पाकिस्तान के एक फ़ैसले की भी तारीफ़ हो रही है. पाकिस्तान भारत का पड़ोसी देश है और उसने भी मुश्किल वक़्त में मदद की पेशकश है.

गुरुवार पाकिस्तान में यूरोपियन यूनियन की राजदूत एंद्रोउला कामिनारा ने ट्वीट कर कहा, ”हमें पाकिस्तान को तहे दिल से शुक्रिया कहना चाहिए कि उसने ईयू से भारत भेजी जा रही मानवीय मदद के लिए उसने एयरस्पेस के इस्तेमाल की तत्काल अनुमति दी.” भारत और पाकिस्तान ने एक दूसर के एयरस्पेस के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा रखी है भारत को मदद केवल पाकिस्तान ही नहीं बल्कि बांग्लादेश से भी मिल रही है

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