ऑक्सीजन के अभाव में बेमौत मर रहे लोग, अधिकारी और नेता चुनावी कार्य मे व्यस्त

गाजीपुर। क्या करें साहब! पैसा है ,पावर है, नाम है, शोहरत है और ईश्वर का दिया सब कुछ है । बस एक कोरोना का इलाज ठीक से नहीं हो पा रहा है। डर लगता है कि कहीं अगली बारी हमारी ना हो। कोरोना के इलाज के लिए किए गए सरकारी इंतजाम और व्यवस्था से लोगो की सासें थम जा रही हैं। लोग ऑक्सीजन के अभाव में तड़पते हुए दम तोड़ रहे है। ये सब सुनकर और देखकर बस हमारी तो पूछो मत!

इस लिए कह रहा हूं कृपा करके कोरोंना कोरोना मत करो ना। करना ही है तो सरकारी व्यवस्थापकों से सवाल करो जिससे हमारा भी और समाज का भी कुछ भला हो सके।

अरे हां तुम भी सवाल क्यों करो? यह काम तो हमारे अधिकारियों का है जो निकम्मेपन का चोला ओढ़कर दुबके पड़े है, जिन्हें इन विपरीत परिस्थितियों में सामने आकर सरकारी व्यवस्था की के अनुसार काम करनी चाहिए। वे कुर्सी पर बैठे चोंच लड़ाते फिर रहे है। जाहिर है ये सब क्यों करे उन्हें तो सिर्फ जान प्यारी है उन्हें लगता है सवाल के चक्कर में कहीं बवाल ना हो जाए और हमारा ओहदा कहीं साथ न छोड़ दे।

आज भीषण आपदा में लोग ऑक्सीजन के अभाव में बेमौत मर रहे है और अधिकारी, नेता जी के चुनावी दांव पेंच में लगे हुए है। नेता बड़े आराम से चुनावी रैलियों में हजारों लाखों के बीच में भड़काऊ भाषणों से देश प्रदेश की तबीयत बिगाड़ कर चले जाते है और हम है की कोरोना के डर से अपने ही घरों में तनहाई झेल रहे है। अगर देश की यही हालत रही तो आधी आबादी घरों के अंदर और आधी आबादी शमशान घाट पर नजर आएगी।अरे हां शमशान घाट से याद आया जो चहल पहल बाजार में देखी जानी चाहिए वो आज कल शमशान में देखने को मिल रही है।

अच्छा है कुछ तो नया देखने को मिल रहा है इस देश को, शायद नेताओ को यही मंजूर है और होगा क्यों नहीं इस देश का मतदाता भी तो अपनी अपनी आंखे मुद कर मतदान किया करते है। हे भगवान अब आप ही कुछ कर सकते हो या तो इन स्वार्थी नेताओ को सबक सिखाओ या फिर अंधे मतदाताओं को जागरूक करो। यहां तो मतदाताओं को जागरूक करने वाले भी खुद जागरूक नहीं है।

ऐसा लगता है कि बस सामाजिक दूरी और केवल मास्क जरूरी है, शासन प्रशासन से सवाल जरूरी नहीं है। अगर सवाल किया तो बवाल होगा और आपका हश्र भी कमाल होगा। इन सबसे अच्छा है मौत का धमाल ही हो। हां फिर कान खोलकर सुन लो कोरोना कोरोना मत करो, ना! हे भगवान अब आप ही कुछ करोना! सच में बहुत डर लग रहा है।

हरिनारायण यादव व्यूरो गाजीपुर

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