खंडवा संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव मे ज्ञानेश्वर और पालीवाल की दावेदारी प्रबल सरगर्मियां तेज

भोपाल। प्रदेश के खंडवा संसदीय क्षेत्र में रिक्त सीट पर उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद यह सीट रिक्त हुई है। अगस्त-सितंबर 2021 में यहां उपचुनाव होगा। उम्मीदवारों को लेकर संघ, भाजपा और कांग्रेस में मंथन का दौर शुरू हो गया है। यही नहीं उम्मीदवारों के खोज की चर्चा स्थानीय स्तर से लेकर दिल्ली तक देखी जा रही है। आरएसएस इसमें बड़ी भूमिका निभा सकता है।

सूत्रों की मानें तो संघ की ओर से कोई चौंकाने वाला नाम तय हो सकता है। नंदू भैया के करीबी होने के चलते बुरहानपुर के ज्ञानेश्वर पाटिल और अशोक पालीवाल की दावेदारी प्रबल है। हालांकि पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस और स्वर्गीय नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान के साथ ही हिंदुत्व का चेहरा खंडवा के पूर्व महापौर सुभाष कोठारी खुले रूप से तो नहीं मगर अपनी-अपनी दावेदारी जता रहे हैं।

बहरहाल राजनीतिक गलियारों में यह सवाल जोरों पर है कि निमाड़ का अगला के खिबैया कौन होगा और निमाड़ की नैया अब किसके सहारे होगी। स्व. नंदकुमार सिंह का व्यक्तित्व विराट था। विपक्ष भी कभी उन पर भ्रष्ट होने का आरोप नहीं लगा पाया। इसलिए विस चुनाव से पहले सवाल उठा था कि क्या नंदकुमार सिंह अपने बेटे हर्षवर्धन को मांधाता सीट से मैदान में उतारकर अपनी विरासत सौंपेंगे, लेकिन तब नंदू भैया ने इस संभावना को खारिज कर दिया था।

यही वजह है कि आज भाजपा सहित अन्य स्वाभाविक दावेदारों में हर्षवर्धन का नाम वरीयता सूची में है। खंडवा लोकसभा सीट को नंदकुमार सिंह चौहान ने छह में से पांच बार चुनाव जीतकर भाजपा का गढ़ बना दिया है। हालांकि नंदकुमार सिंह चौहान को अरुण यादव एक बार चुनाव में मात दे चुके हैं।

1980 से अब तक नहीं बनी इस सीट पर उपचुनाव की स्थिति
उल्लेखनीय है कि भारत निर्वाचन आयोग के नियमों के तहत सांसद के निधन के छह महीने के भीतर उपचुनाव कराए जाते हैं। इस लिहाज से अगस्त-सितंबर 2021 में यहां लोकसभा चुनाव होंगे। खंडवा लोकसभा में कुल आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल है। यहां यह भी उल्लेख है कि 1980 से अब तक खंडवा लोकसभा सीट पर उपचुनाव की स्थिति नहीं बनी।

अर्चना कर चुकी हैं दावेदारी

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस ने खंडवा संसदीय क्षेत्र से अपनी दावेदारी ठोकी थी लेकिन तब वे टिकट नहीं पा सकीं थीं। वहीं अब नंदू भैया के नहीं होने पर अर्चना चिटनिस ही ऐसी नेता हैं जिनके पास लंबा राजनीतिक अनुभव दिल्ली तक पकड़ और क्षेत्र में सक्रियता भी है। इसलिए यह भी लगाए जा रहे हैं कि खंडवा उपचुनाव में दीदी बाजी मार सकती हैं।

हालांकि वे पिछला विधानसभा चुनाव एक निर्दलीय प्रत्याशी से हार चुकी हैं जो उनकी इन योग्यताओं पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। दूसरी ओर कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि बंगाल में जीत हासिल करने के बाद कैलाश विजयवर्गीय को खंडवा लोकसभा के जरिए दिल्ली बुलाया जा सकता है। बहरहाल इन सभी समीकरणों के बीच संघ कोई चौंकाने वाला चेहरा भी आगे कर सकता है। जिसकी उम्मीद ज्यादा है।

कांग्रेस में अरुण यादव की दावेदारी प्रबल

कांग्रेस में अरुण यादव की दावेदारी प्रबल मानी जा रही है। यादव को दरअसल निमाड़ क्षेत्र का कद्दावर नेता माना जाता है। अरुण यादव कांग्रेस में राहुल गांधी के करीबी भी माने जाते हैं। वह दो बार सांसद के साथ केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। अरुण प्रदेश कांग्रेस की कमान भी संभाल चुके हैं। हालांकि बीते लोकसभा चुनाव में उन्हें नंदकुमार सिंह चौहान के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था। दूसरी वजह यह भी है कि अरुण को इस क्षेत्र में प्रभाव विरासत में मिला है।

अरुण के पिता सुभाष यादव भी इस इलाके में अत्यधिक प्रभावी नेता माने जाते थे। सुभाष प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के पद पर भी रह चुके थे। इतना ही नहीं एक समय वह मुख्यमंत्री पद के भी प्रबल दावेदार माने जाने लगे थे। अब कांग्रेस में अरुण को चुनौती देने वाला कोई दूसरा नेता नजर नहीं आ रहा है। वहीं अरुण के लिए भी लोकसभा में जाने का अच्छा मौका है।

यही वजह है कि अरुण यादव ने क्षेत्र में अपनी सक्रियता तेज कर दी है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के करीबी तथा एक कारोबारी भी लोकसभा में दावेदारी का मन बना रहे हैं। अब देखना होगा कि कांग्रेस यादव पर ही भरोसा करती है या कोई अन्य चेहरा पेश करती है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More