मंत्रियों के भ्रष्टाचार की शिकायतों का ब्योरा देने से प्रधानमंत्री कार्यालय ने किया इन्कार
नई दिल्ली,। केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ मिलीं भ्रष्टाचार के आरोपों को साझा करने से प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने इन्कार कर दिया है।
पीएमओ का कहना है कि ऐसा करना संभवत: व्यक्तिपरक जानकारी देना और जटिल कवायद को अंजाम देना होगा।
एक आरटीआइ का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों और उच्च अधिकारियों के खिलाफ समय-समय पर ऐसी शिकायतें मिलती हैं। इनमें वह शिकायतें भी हैं जो फर्जी नाम से आती हैं या अनाम होती हैं।
पीएमओ ने व्हिसिल ब्लोअर नौकरशाह संजीव चतुर्वेदी की आरटीआइ याचिका का जवाब देते हुए कहा कि
इसलिए सभी शिकायतों और आरोपों को उनकी गंभीरता और उनके साथ संलग्न दस्तावेजों के आधार पर अच्छी तरह से परखा जाता है।
आवश्यकतानुसार कार्रवाई करने के बाद रिकार्ड किसी एक स्थान पर नहीं रखे जाते हैं। और यह सभी दस्तावेज इस दफ्तर के विभिन्न सेक्टरों और यूनिटों में फैले हुए हैं।
इससे संबंधित सूचनाएं जुटाने के लिए अनगिनत फाइलों की पड़ताल करनी पड़ेगी।
याचिकाकर्ता चतुर्वेदी भारतीय वन सेवा के अफसर हैं। उन्होंने एम्स में भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया है।
उस समय यानी जुलाई 2012 से लेकर अगस्त 2014 तक वह केंद्रीय सतर्कता आयोग में बतौर मुख्य सतर्कता आयुक्त कार्यरत थे।
पीएमओ ने ऐसा जवाब तब दिया है जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने केंद्र में कोयला और
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खनन राज्यमंत्री हरिभाई पी. चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।