यदि जनता किसी राजनेता पर हिंसक होती है तो ये कोई विशेष बात नहीं :दिल्ली हाई कोर्ट

आर जे न्यूज़

हाईकोर्ट ने तीनों नगर निगमों के कर्मचारियों को वेतन और पेंशन का भुगतान नहीं करने पर दिल्ली सरकार व तीनों एमसीडी को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने तल्ख टिप्पणी में कहा कि चीजें नहीं बदलती हैं और इसी तरह चलती रहीं तो आश्चर्य नहीं होगा कि राजनीतिक नेताओं और इनसे जुड़े लोगों से जनता मारपीट शुरू कर दे।

हाईकोर्ट ने कहा दिल्ली सरकार, एमसीडी व केंद्र सरकार के बीच सैंडविच बन गई है, क्योंकि वह विरोधी पार्टी है। एमसीडी और दिल्ली सरकार एक दूसरे के साथ कुत्ते-बिल्लियों की तरह लड़ रही हैं और हम उनके रवैये से शर्मिंदा हैं। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और रेखा पल्ली की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह के भीतर नगर निगमों और स्थानीय निकायों को उनके बकाया ऋणों के एवज में वसूली गई या उनसे समायोजित की गई राशि को वापस स्थानांतरित करे।

खंडपीठ ने कहा कि फंड की कमी और वेतन का भुगतान न होने की समस्या इसलिए पैदा हुई है क्योंकि दिल्ली सरकार विपरीत राजनीतिक दल से ताल्लुक रखती है। पार्टियां अपने नेताओं को बताएं कि उन्हें परिपक्व होना है और इस सब से ऊपर उठना है। सब यूं ही चलता रहा तो हमें आश्चर्य नहीं होगा कि राजनीतिक नेताओं को बड़े पैमाने पर जनता द्वारा मार डाला जाएगा।

न्यायमूर्ति सांघी ने कहा वे यह नहीं बता सकते कि हम आप सभी (दिल्ली सरकार और नगर निगमों) से कितने निराश हैं। आप पूरी तरह से लापरवाही से व्यवहार कर रहे हैं और गरीब कर्मचारियों और सेवानिवृत्त पेंशन भोगियों की बिल्कुल चिंता नहीं हैं।

अदालत ने एमसीडी को भी अप्रैल 2020 से अपने खर्चों का विवरण देने को कहा है। ऐसा न करने पर संबंधित अधिकारियों को 22 फरवरी को पेश होने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि एमसीडी और स्थानीय निकायों को जो राशि मिली है या प्राप्त होगी उसे कर्मचारियों के वेतन और पेंशन जारी करने के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए खर्च नहीं किया जाएगा। पहले बकाया भुगतान किया जाए उसके बाद ही अन्य खर्चे पूरे किए जाएं।

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