कृषि कानूनों के विरोध के बिच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मोदी सरकार के कृषि कानूनों को अहम कदम माना

राष्ट्रीय जजमेन्ट, नई दिल्ली, 15, जनवरी,2021।

मोदी सरकार के तीनों कृषि कानूनों को लेकर पिछले 50 दिनों से किसानों का प्रदर्शन जारी है और ये किसान इन कानूनों को वापस किए जाने की मांग कर रहे हैं। मगर इस बीच कृषि कानूनों पर आलोचनाओं का सामना कर रही मोदी सरकार के लिए राहत की खबर है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मोदी सरकार के कृषि कानूनों को अहम कदम माना है और कहा कि इससे कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार होगा। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने सरकार को प्रभावित होने वाले किसानों को अधिक सामाजिक सुरक्षा देने की सलाह भी दी है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का मानना है कि इन तीनों कृषि कानूनों में कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार लाने की क्षमता है। साथ ही यह भी कहा है कि कृषि कानून के लागू होने और नए सिस्टम में जाने के दौरान जिन लोगों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, उनके लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना भी बहुत जरूरी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के डायरेक्टर ऑफ कम्युनिकेशंस गेरी राइस ने कहा कि नए कृषि कानून बिचौलियों की भूमिका को कम करेंगे और दक्षता को बढ़ाएंगे।

वाशिंगटन में राइस ने गुरुवार को एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमारा मानना है कि कृषि कानूनों से भारत के कृषि सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने आगे कहा, इन कानूनों की वजह से किसान सीधे विक्रेताओं से संपर्क करने में सक्षम बनेंगे, दलालों की भूमिका कम होने से किसानों को अधिक फायदा होगा और इससे ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलेगा।

हालांकि, उन्होंने इन कानूनों से प्रभावित होने वाले लोगों के लिए सुरक्षा मुहैया कराए जाने की भी वकालत की। भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में गेरी राइस ने कहा, ‘हालांकि, इन नए कानूनों की वजह से प्रभावित होने वाले संभावित किसानों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना बहुत अहम है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में जिन लोगों की नौकरियां जायेंगी, उनके लिये कुछ ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिये कि वे रोजगार बाजार में समायोजित हो सकें।

उन्होंने यह भी कहा कि इन कृषि कानूनों से मिलने वाले लाभ इनकी प्रभाविकता और इनके लागू करने की टाइमिंग पर भी निर्भर करेंगे, इसलिए सुधारों के साथ उन मुद्दों पर भी ध्यान देने की जरूरत है. गौरतलब है कि पिछले 50 दिनों से पंजाब-हरियाणा समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

रिपोर्ट:- भावेश पिपलिया दिल्ली ब्यूरो

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More