उत्तराखंड : चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर घमासान, क्या ऐसे ही 2022 की चुनावी बैतरणी पार करेगी कांग्रेस

हल्द्वानी। उत्तराखंड में कांग्रेस के अंदर सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेसी एक-दूसरे पर सियासी बयानों के तीर चला रहे हैं। कांग्रेस पार्टी में यह घमासान शीर्ष से लेकर निचले स्तर के नेताओं के बीच तक जारी है। जिसकी बानगी आजकल कांग्रेस पार्टी के तमाम छोटे बड़े नेताओं के बयानों में साफ साफ देखा जा सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के खेमों के बीच आगामी चुनाव की तैयारियां छोड़ मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर वार दर वार का सिलसिला जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा कांग्रेस में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनजर पार्टी में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए जाने के सोशल मीडिया पर ट्वीट के बाद यह वार और अधिक तेज हो गया है।

आगामी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों को छोड़, कांग्रेस आंतरिक गुटबाजी और प्रदेश के शीर्ष नेताओं के प्रतिद्वंद्विता के कोल्ड वॉर से गुजर रही है। प्रदेश में कांग्रेस के भीतर उठ रहे ज्वार भाटा का गुबार सोशल मीडिया में दिखाई दे रहा है एक तरह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के समर्थक हैं, तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के समर्थक जो जाने अनजाने इन सबके बीच पार्टी की मर्यादा तार-तार कर रहे हैं। इसी बीच हरीश रावत के कांग्रेस को एक होटल की चारदीवारी में कैद रहने की बात कहने के बाद यह घमासान शुरू हुआ, जिसके एक बार फिर हरीश रावत ने एक ट्वीट कर इसे और गर्मा दिया है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित होने को लेकर संकोच कैसा ?अगर किसी को भी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया जाए तो मैं उसके पीछे खड़ा रहूंगा। उन्होंने कहा कि रणनीति के दृष्टिकोण से यह भी आवश्यक है कि हम भाजपा द्वारा राज्यों की जीत के लिए अपनाए जा रहे फार्मूले का स्थानीय तोड़ निकालें और तोड़ यही हो सकता है कि भाजपा का चेहरा बनाम कांग्रेस का चेहरा चुनाव में लोगों के सामने रखा जाए ताकि लोग स्थानीय सवालों के तुलनात्मक आधार पर निर्णय करें, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यह भी सवाल उठाया है कि आखिर अचानक सामूहिकता क्यों याद आ गई? जब किसी भी निर्णय में उन्हें भी एआईसीसी का दरवाजा खटखटाना हुआ उस समय सामूहिकता का पालन क्यों नहीं होता है, आखिर क्यों पार्टी के आधिकारिक पोस्टरों से मेरा नाम और चेहरा स्थान नहीं आ पाया, मैंने तो कभी सवाल नहीं खड़े किए ? यही नहीं हरीश रावत ने यह भी कहा कि कभी-कभी तो उन्हें यह संदेश रहता है कि पार्टी के मंचों पर उन्हें स्थान मिल पाएगा कि नहीं, आज उन्होंने स्वयं असमंजस को हटाया है तो ऐसा दनादन क्यों हो रहा है।

बताते चलें कि यह शुरुआत कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव के उत्तराखंड आगमन के कुछ दिन बाद तब हुई जब हरीश रावत ने देवेन्द्र रावत को धन्यवाद करते हुए यह ट्वीट किया कि अब पार्टी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर देना चाहिए।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के इस ट्वीट के बाद अब नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर न सिर्फ तीखी टिप्पणी की है बल्कि इशारों-इशारों में बहुत कुछ याद दिलाया है। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि हरीश रावत क्या लिखते हैं, क्या बोलते हैं, इसके लिए वे पूर्ण रुप से स्वतंत्र हैं। ब्लाॅक प्रमुख से मुख्यमंत्री तक इतनी लंबी राजनीति करने के बाद वो पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। हम उन पर न तो नियंत्रण लगा सकते हैं और न ही उन्हें रोक लगा सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उनकी हरीश रावत से केवल एक ही प्रार्थना है कि वह ऐसा माहौल बनाएं जिससे जनता कांग्रेस के पक्ष में वोट करने को तैयार हो, न कि दूसरी तरफ भागने को तैयार हो। उन्होंने यह भी कहा कि हम सब एकजुट हैं, लेकिन जिनकी महत्वाकांक्षा ज्यादा है वह एकजुट नहीं होना चाहते हैं, अगर हरीश रावत खुद को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करवाते हैं तो उनको कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह काम केवल राष्ट्रीय नेतृत्व का है। वहीं हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाए जाने के सवाल पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि क्या आज तक कांग्रेस ने किसी को चेहरा बनाया है? और तंज कसते हुए कहा कि बनाया तो 2017 के चुनाव में था हरीश रावत को, जिसमें हम 11 सीट पर आ गए और 1 जिले में तो एक सीट नहीं ला पाए और मुख्यमंत्री खुद दो जगह से लड़े और क्या नतीजा हुआ यह सब जानते हैं।

ऐजाज हुसैन
ब्यूरो चीफ उत्तराखंड

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