जब भीमा कोरेगाँव एक जनवरी 2018 को हिंसक झड़पों का गवाह बना था.

इसमें अब तक 16 सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और वकीलों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. पुलिस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जिन लोगों को गिरफ़्तार किया है, उनमें आनंद तेलतुंबडे, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, कवि वरवर राव, स्टेन स्वामी, सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंजाल्विस समेत कई अन्य शामिल हैं.भीमा कोरेगाँव हिंसा का देश के सामाजिक और राजनीतिक माहौल पर गंभीर असर पड़ा है.

एक जनवरी 2018 को ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठों के बीच हुए युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के जश्न के दौरान भीमा-कोरेगाँव में हिंसा भड़क उठी थी.हज़ारों दलित विजय स्तंभ के नज़दीक इकट्ठा हुए थे. लेकिन तनाव के बाद वहां आगज़नी और पथराव हुआ.

इसमें कई गाड़ियों को नुक़सान पहुँचा और एक शख़्स की जान चली गईइस घटना से एक दिन पहले 31 दिसंबर 2017 को ऐतिहासिक शनिवार वाड़ा पर एल्गार परिषद का आयोजन किया गया था. प्रकाश आंबेडकर, जिग्नेश मेवाणी, उमर खालिद, सोनी सोरी और बी.जी. कोलसे पाटिल जैसी हस्तियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया था.

पुणे पुलिस की शुरुआती जांच के बाद केंद्र सरकार ने इस मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया. एनआईए ने अक्टूबर के दूसरे हफ़्ते में एक विशेष अदालत के सामने 10,000 पन्नों की चार्ज़शीट पेश की थी.पुणे पुलिस ने इस हिंसा से जुड़े दो अलग-अलग मामले दर्ज किए थे. दो जनवरी 2018 को पिंपरी पुलिस स्टेशन में हिंदुत्व नेताओं, संभाजी भिडे और मिलिंद एकबोटे के ख़िलाफ़ एक एफ़आईआर दर्ज की गई थी.

आठ जनवरी 2018 को तुषार दामगुडे नाम के शख़्स ने एल्गार परिषद में हिस्सा लेने वाले लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करवाई थी. एफ़आईआर में दावा किया गया कि एल्गार परिषण में भड़काऊ भाषण दिए गए, जिसकी वजह से अगले दिन हिंसा हुई. इस एफ़आईआर के आधार पर पुलिस ने कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और कवियों को गिरफ़्तार किया.इस मामले में पहली चार्जशीट दायर करने के बाद पुलिस ने 21 फ़रवरी 2019 को एक पूरक चार्जशीट पेश की.

17 मई 2018 को पुणे पुलिस ने यूएपीए की धाराओं 13, 16, 18, 18B, 20, 39, और 40 के तहत मामला दर्ज किया. एएनआई ने भी मामले के संबंध में 24 जनवरी 2020 को भारतीय दंड संहिता की धारा 153A, 505(1)(B), 117 और 34 के अलावा यूएपीए की धारा 13, 16, 18, 18B, 20 और 39 के तहत एफ़आईआर दर्ज की.महाराष्ट्र और पूरे देश को हिला देने वाली इस घटना और कई गिरफ़्तारियों के बाद अब तक भीमा-कोरेगाँव मामले में क्या मोड़ आए हैं?

एएनआई अपनी जाँच में कहां तक पहुंची है? क्या सभी चार्जशीट दायर हो चुकी हैं और न्यायिक प्रक्रिया पूरी हो चुकी है? भीमा कोरेगाँव में हुई हिंसा के लिए कौन ज़िम्मेदार है? क्या जांच एजेंसियां दोषियों को ढूंढने में सफल रही हैं?

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More