इस साल समुद्र में जाएंगे 150 करोड़ मास्क, 6800 टन प्लास्टिक प्रदूषण से होगा समुद्री जीवों को नुकसान – रिपोर्ट

राष्ट्रीय जजमेन्ट,नई दिल्ली, 30,दिसम्बर,2020।

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। इसकी वजह से आज दुनियाभर में कई लोगों ने अपने परिजनों को खोया है और बहुत से लोग अपने परिवार से दुरी बनाएं हुए हैं। कोई भी त्यौहार धूमधाम से नहीं मनाया जा रहा है, वहीं किसी भी प्रकार का कोई भी फंक्शन आयोजित नहीं किया जा जा रहा है। इस महामारी ने न केवल लोगों के स्वास्थ्य को बिगड़ने का काम किया है बल्कि इसकी वजह से बहुत सी समस्या भी आई है। फिर चाहे वो लोगों कि आर्थिक स्थिति हो या देश की। इस महामारी कि वजह से लोगों ने घर से निकलना बंद कर दिया है और अगर निकल भी रहे हैं तो डरे हुए।

वहीं अब एक रिपोर्ट सामने, जिससे पता चला है कि कोरोना महामारी के दौरान यूज़ किए गए मास्क से बहुत प्रदूषण फैला है। इसने लोगों के स्वास्थ्य पर अपना प्रभाव डाला ही है, साथ ही वातावरण को भी अब प्रदूषित कर रहा है। इसकी वजह इस साल समुद्री इकोसिस्टम भी बहुत ज्यादा प्रदूषित होगा। क्योंकि लगभग 150 करोड़ इस्तेमाल किए गए फेस मास्क अलग अलग तरीकों से इस साल समुद्र में पहुंचेंगे, जिसकी वजह से समुद्र प्रदूषित हो जाएगा।

जब यह हजारों टन प्लास्टिक समुद्र में पहुँचेगा, तो इससे बहुत से नुकसान होने कि संभावना है। इससे समुद्री जल में फैले प्रदूषण के कारण समुद्री वन्य जीवन को बहुत ज़्यादा नुकसान होगा। ‘हॉन्गकॉन्ग की पर्यावरण संरक्षण संस्था ओशंस एशिया’ ने इस संबंध में एक ग्लोबल मार्केट रिसर्च के आधार यह रिपोर्ट जारी की है।

इस साल बनें 5200 करोड़ मास्क-

कोरोना वायरस की वजह से मास्क के उत्पादन में काफी इज़ाफा हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना की वजह से इस साल करीब 5200 करोड़ मास्क बनाए गए हैं। परंपरागत गणना के मुताबिक इसका 3 फीसदी मास्क समुद्र में पहुँचेगा। जो फेस मास्क सिंगल यूज़ होते हैं उन्हें मेल्टब्लॉन किस्म के प्लास्टिक से बनाया जाता है। इसे रिसाइकिल करना बेहद मुश्किल होता है। इसकी वजह इसका कम्पोजिशन, खतरे और इंफेक्शन को माना जाता है. यह फेस मास्क महासागरों में तब पहुंचता है जब इसे कूड़े में दाल दिया जाता है, या इसे लापरवाही से कहीं भी फेंक दिया जाता है। इस वजह से यह प्रदूषण फ़ैलाने का काम करता है. हर एक मास्क का वज़न लगभग तीन से चार ग्राम होता है।

समुद्री जीवों को नुकसान-

मास्क कि वजह से लगभग 6800 टन से अधिक प्लास्टिक प्रदूषण पैदा होगा। जिसे खत्म करने में लगभग 450 साल लग जाएंगे। रिपोर्ट के अनुसार, फंसे मास्क को कान में लगाने के लिए लगा रबर या प्लास्टिक रस्सी समुद्री जीवों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं, जिसकी वजह से उन्हें काफी नुकसान पहुँच रहा है। अगस्त में मियामी बीच पर सफाई के दौरान डिस्पोजेबल मास्क में फंस कर एक मरी हुई पफर फिश पाई गई थी। इसके अलावा फेस मास्क कि वजह से सितंबर में ब्राजील के एक बीच पर मरी हुई पेंग्विन मिली थी, जिसके पेट में मास्क पाया गया था।

धुलने वाला मास्क हो उपयोग-

रिपोर्ट बताती है कि समुद्री जीवों को इस खतरे से बचाने के लिए और प्रदूषण रोकने के लिए धुलने वाला मास्क यूज़ किया जाना चाहिए। इस तरह का मास्क कपड़े से बना होता है जिसे हम आसानी से धोकर दुबारा उपयोग कर सकते हैं। साथ ही इस तरह के मास्क को रिसाइकिल भी किया जा सकता है। ‘ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी’ ने जानवरों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए लोगों को यह सुझाव दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि जब भी मास्क को फेंके तो कान में लगाने वाला रबर या प्लास्टिक का स्ट्रैप निकाल कर फेंके।

रिपोर्ट:-भावेश पिपलीया संवाददाता दिल्ली

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