धनतेरस पर दुकान से लेकर सड़क तक भीड़ ही भीड़

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महोबा 12 नवम्बर । धनतेरस पर्व की खुशी समूचे जिले में फैली दिखाई पड़ी। गुरुवार को धनतेरस का पर्व यहां पूरी परम्परा अनुसार मनाया गया। बाजारों में व्यापक भीड़ उमड़ी और जमकर खरीददारी हुई। खरीददारी का यह सिलसिला दिन से ही शुरू हो गया था जो देर रात जारी रहा। धनतेरस पर सुरक्षा व्यवस्था के उचित प्रबन्ध बाजारों के नजदीक किये गये थे।
बाजार में सुबह से ही खासी भीड़ दिखाई पड़ी दिन के चढ़ते चढ़ते सड़को पर तिल रखने की भी जगह नही थी, सड़क किनारे विभिन्न सामग्रियो की दुकाने सजी थी। जहां लोग खरीददारी के लिये पहुंच रहे थे बाजार धनतेरस पर पूरी तरह से गुलजार था। बर्तन बाजार सर्राफा बाजार को बेहद आर्कषक तरीके से सजाया गया था। लोग यहां पहुंच कर चांदी के सिक्को से लेकर सोने चांदी के आभूषणों की खरीददारी की। इसके अलावा बर्तनो की भी खूब बिक्री हुई। धनतेरस पर बाजार खासा गुलजार था।
यहां सुबह से ही धनतेरस की चहल-पहल दिखाई पड़ने लगी थी और दिन के बढ़ते, बढ़ते बाजार में तिल रखने को भी जगह नही थी। शहरियों ने दोपहर से ही यहां पहुंचकर खरीददारी शुरू कर दी थी तो आस-पास के गांव के ग्रामीण भी धनतेरस पर खरीददारी के लिये बाजार में उमड़ पड़े। ज्यादातर बिक्री, तांबा, पीतल और स्टील के बर्तनों की दिखाई पड़ी प्लास्टिक के बर्तन भी खूब बिके । दरअसल धनतेरस से ही दीपावली पर्व की शुरूआत हो जाती है। दीपावली की तैयारियां पर्व के आने के कोई एक पखवारा पहले ही शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में शुरू हो गयी। यहां दीपावली से पहले मकानों, दुकानों की साफ, सफाई के बाद उनकी रंगाई, पुताई की गयी । घरों और दुकानों को खासे आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
शहर का मुख्य बाजार में बड़े-बड़े दुकानदारों ने स्टाल लगा रखे है। जहां तांबा, पीतल, सिलवर, प्लास्टिक के बर्तन सजे हुये है लोग यहां पहुंचकर अपनी इच्छानुसान बर्तनों की खरीददारी कर रहे है। खरीददारी करने वालों का बाजार में आना और जाना का सिलसिला लगातार बना है। शाम ढलते, ढलते बाजार पूरी तरह से खरीददारों से ठसमठस हो गये और यह सिलसिला देर शाम तक और बढ़ गया। दुकानों को आकर्षक बिजली, ब्लब की रोशनी से सजाकर जगमगा दिया गया । बर्तनों के अलावा टीवी, बासिंग मशीन, फ्रिज के भी बड़े-बड़े स्टाल लगाये गये थे । ऊदल चौक से लेकर मुख्य बाजार तक तिंल रखने को भी जगह नही थी।
राष्ट्रीय जजमेंट के लिए महोबा से काजी आमिल की रिपोर्ट

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