कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी की एक टीवी चैनल पर डिबेट में शामिल होने के थोड़ी देर बाद हुई मौत से सोशल मीडिया पर एक बार फिर टीवी चैनलों पर होने वाली परिचर्चाओं की आक्रामकता पर बहस छिड़ गई है.
दरअसल नब्बे के दशक के दौरान भारत में जब निजी टीवी समाचार चैनलों के लिए दरवाज़े खुले तो बड़ी संख्या में इनके पंजीकरण की बाढ़ आ गई लेकिन इसके ‘कंटेंट’ को स्वतः नियंत्रित करने के लिए सरकार ने जो व्यवस्था बनाई वो वर्ष 2011 में ही लागू हो पाई जब इंडियन ब्राडकास्टिंग फेडरेशन ने ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कम्प्लेंट्स काउंसिल का गठन किया.
इसे भारतीय प्रेस काउंसिल की तर्ज़ पर बनाया गया जिसकी अध्यक्षता पूर्व न्यायाधीश करते हैं और इसमें टीवी चैनलों के प्रतिनिधियों को बतौर सदस्य नियुक्त किया गया.
फिर भी चैनलों पर होने वाली परिचर्चा के स्तर को लेकर बहस जारी है.
कांग्रेस के प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील जयवीर शेरगिल ने सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को एक पत्र भेजकर मीडिया संस्थानों के लिये ‘एडवाइज़री’ जारी करने को कहा है ताकि कोई अचारसंहिता लागू की जाए “जिससे सनसनीख़ेज़, निंदात्मक और ज़हरीले” टीवी डिबेट को नियंत्रित किया जा सके.
My letter to I&B Minister Sh @PrakashJavdekar Ji requesting him to issue an advisory to Media to enforce a Code of Conduct to curb Slanderous,Sensationalist & Toxic TV Debates-High time to reinforce civility & mutual respect for sake of well being of participants & democracy pic.twitter.com/z3ooQjbX5f
— Jaiveer Shergill (@JaiveerShergill) August 13, 2020