गणेश चतुर्थी पर विशेष: गणेश की आराधना से दूर होते है सभी विघ्न

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महोबा 21 अगस्त। भारतीय संस्कृति में प्रथम पूज्य श्री गणेश जी का महोत्सव भाद्र पद मास की शुल्क पक्ष चतुर्थी को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता है, गणेश शब्द का अर्थ है, जो समस्त जीव जाति के ईश अर्थात स्वामी हो . वेदो में ब्रहम्मा विष्णु आदि गर्णों के अधिपति श्री गणनायक ही परमात्मा कहे गए है, गणेश को विनायक भी कहते है, जिसका अर्थ है विशिष्ट नायक।
डा0 एलसी अनुरागी बताते है, की गणेश पर्व पहले घरों तक ही सीमित रहता था, लेकिन 1893 में बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजों के विरुद्ध जनता को एक जुट करने के लिये महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी पर सामूहिक एवं सार्वजनिक रूप से गणेश उत्सव का आयोजन शुरू कराया यह आयोजन भाद्रपद शुल्क पक्ष की चतुर्थी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक 10 दिन तक मनाया जाता है। तिलक के इस प्रयास से देश स्वतंत्र हुआ श्री गणेश की अराधना से सभी विघ्नों का नास होता है।
डा0 एलसी अनुरागी कहते है कि दुनिया का हर असंभव उचित कार्य गणेश की अराधना से संभव हो जाता है, आदि कवि वाल्मीकि ने आठ श्लोको में आराधना की है, जो इस प्रकार है। हे गणेश। आप चौसठ कोटि विधाओं के ताता तथा देवताओं के आचार्य, ब्रहस्पति को भी विद्या प्रदान करते है। आप कठ को अभीष्ठ विद्या देने वाले है आप कवि है और कवियों के स्वामी है, आप बड़े-बड़े विघ्नों के नाथ है। स्वेच्छा से रचित ब्रहम्माण्ड समूह के स्वामी और रक्षक भी आप ही है, आप व्यास शिष्य आदि विधा, विशिष्ठ, प्रिय जनों को अनेक विघा प्रदान करने वाले और सब के आदि पुरुष है। आप महाशाक्त मंत्र की दीक्षा के गुरु एवं श्रेष्ठ वस्तु प्रदान करने वाले है।
आप ब्रहम्मा जी को वेदो का, विष्णु को योग का, शिव को आगमो का, और सूर्य देव को विद्या के राहस का उपदेश देते है, आप वेदांत के सारतत्व, असुरो का संहार करने वाले, सिद्धि लक्ष्मी, एवं बुद्धि को दारा के रूप में अंगीकार करने वाले है, आप ज्ञानानंद स्वरूप मुनियों के ध्येय तथा गुणातीत है, आप भक्त जनों को भव्य सागर के पार करने वाले है, आप लाल कमल के फूलों का हार धारण करते है आप कृपाली है।
डा0 एलसी अनुरागी कहते है कि हमे गणेश की आर्दशों को जीवन में अपनाना चाहिए। गणेश पर्व भारतीय संस्कृति का मुख्य त्यौहार है, हमे जीवन मंगलमय बनाने के लिये गणेश अराधना आवश्य करना चाहिये।
इनसेट
दूर्वादल चढ़ाने वाले मंत्र
महोबा। गणेश जी को प्रसन्न करने के लिये 21 दूर्वादल चढ़ाना चाहिये गणेश जी के 10 प्रमुख मंत्र है, प्रत्येक मंत्र के उच्चारण के साथ दो दूर्वादल चढ़ाये और अंत में एक दूर्वादल चढ़ाये गणेश जी पर दूर्वादल चढ़ाने वाले मंत्र इस प्रकार है।
1 ऊॅ गणाधिपाय नमः, 2 ऊॅ उमापुत्राय नमः,3 ऊॅ विघ्ननाशनाय नमः, 4 ऊॅ विनायकाय नमः, 5 ऊॅ ईशपुत्राय नमः, 6 ऊॅ सर्व सिद्धिप्रदाय नमः, 7 ऊॅ एकदन्ताय नमः,8 ऊॅ इभववत्राय नमः,9 ऊॅ मूषकवाहनाय नमः, 10 ऊॅ कुमारगुररवे नमः।
राष्ट्रीय जजमेंट के लिए महोबा से काजी आमिल की विशेष रिपोर्ट

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