जनपद में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए हर्षोल्लास से मनाया गया 74 वां स्वतन्त्रता दिवस

0
महोबा, 16 अगस्त 2020 जिले भर में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए हर्षोल्लास से 74 वां स्वतन्त्रता दिवस मनाया गया।प्रत्येक सरकारी व निजी भवन पर पूरे सम्मान के साथ तिरंगा फहराया गया।जनपद में स्थापित महापुरुषों व स्वंतत्रता सैनानियों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया।न्यायालय परिसर में जनपद न्यायाधीश हरवीर सिंह, कलेक्ट्रेट में डीएम अवधेश तिवारी, पुलिस लाइन में एसपी मणिलाल पाटीदार व विकास भवन में सीडीओ हीरा सिंह ने झण्डारोहण किया तदोपरान्त सम्बन्धित भवन परिसरों में पौधारोपण भी किया।
कलेक्ट्रेट सभागार में स्वतंत्रता दिवस पर्व पर आयोजित गोष्ठी में विभिन्न अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपने- अपने विचार व्यक्त किये।इस अवसर पर डीएम ने कहा कि हमारी आज़ादी पर वहीं प्रतिबंध लग जाता है, जब हम दूसरों की आज़ादी को बाधित करते हैं।उन्होंने कहा कि उन्नति के लिए आपसी सौहार्द तथा अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए आत्मानुशासन बहुत जरूरी है।
उन्नति के लिए आपसी सौहार्द तथा अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए आत्मानुशासन बहुत जरूरी-डीएम
उन्होंने कहा कि कोरोना आपदा ने मनुष्य मात्र की समस्त आज़ादियों को बाधित कर दिया, परंतु चिड़ियों की चहचहाहट फिर सुनाई देने लगी, आकाश साफ हो गया, नदियाँ भी साफ हुई, प्रकृति फिर मुस्कराई, परिवार एक साथ आये, बच्चे माँ-बाप से मिले, शहर से लोग पनाह लेने के लिए फिर गांव पहुंचे।उन्होंने कहा कि जिस तरह प्रकृति हमें बिना किसी भेदभाव के अपनी सेवाएं देती है, वैसे ही हमें भी अपना कार्य पूरी ईमानदारी, निष्ठा व बिना किसी भेदभाव से करना चाहिए।उन्होंने कहा कि मनुष्य ने प्राकृतिक स्रोतों का बुरी तरह से दोहन किया, पर्यावरण नष्ट किया, नदियों को प्रदूषित किया, जंगलों को काट डाला, पहाड़ों को नष्ट किया, प्राणदायिनी हवा को भी दूषित कर दिया, पशुओं का अकारण वध किया अर्थात मनुष्य ने अपनी आज़ादी के लिए पूरी सृष्टि की आज़ादी को बाधित कर दिया। परिणामस्वरूप कोरोना महामारी के दौरान सभी को अपनी आजादी गँवानी पड़ी। उन्होंने कहा कि इस आपदा से सीख लेते हुए हमें फिर से उठ खड़े होना होगा और देश, समाज व दुनियां ( प्रकृति) के प्रति अपने दायित्वों का ईमानदारी से पालन करना होगा।जब प्रकृति रहेगी तभी दुनियां, देश, समाज और हम सब रहेंगे।
उन्होंने समस्त जनपद वासियों से आह्वान किया कि हमारे पूर्वजों के बलिदान स्वरुप हमें जो आज़ादी मिली है,उसे यूंही न गंवाएं, बल्कि जाति धर्म व अन्य किसी भेदभाव से रहित होकर आपसी प्रेम व सौहार्द को मजबूत बनाते हुए अपनी आज़ादी को अक्षुण्ण बनाये रखें।
राष्ट्रीय जजमेंट के लिए महोबा से काजी आमिल की रिपोर्ट

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More