यूपी की राजधानी से लगे जनपद उन्नाव का ‘विकास’ बोल रहा है

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जनपद उन्नाव जिले के पुरवा विधानसभा क्षेत्र के उन्नाव पुरवा मार्ग के कस्बा पुरवा की है।प्रदेश सरकार के गढ्ढा मुक्त सड़क के स्लोगन को सुनकर राज्य परिवहन निगम की बस ने आत्महत्या करने का प्रयास किया।
इस विधानसभा क्षेत्र से बसपा से जीत कर भाजपा में गए चर्चित अनिल सिंह विधायक है,प्रदेश की विधानसभा के अध्यक्ष आदरणीय हृदयनारायण दीक्षित जी की जन्मभूमि है,वर्तमान में जनपद से भाजपा के सांसद, जिलापंचायत अध्यक्ष, और सभी 6 विधायक प्रदेश विधानसभा में जनपद के प्रतिनिधित्व करते हैं।
जनता की आवाज इस पर “बड़े गढ्ढे है इस राह में,बाबू जी धीरे चलना” शीर्षक से खबर भी लगा चुका है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से महज कुछ दूरी पर बसे जनपद उन्नाव का वैसे तो अपना एक पुराना इतिहास है ।जहां सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” जैसे राष्ट्रकवि की कर्म स्थली रही है। तथा उन्हीं के नाम पर उन्नाव की पहचान देश और दुनिया में होती है। उन्नाव जनपद में कानपुर और लखनऊ से प्रदूषण के कारण हटाए गए उद्योग स्थापित किए गए तथा कई नई फैक्ट्रियां भी उन्नाव में लगाई गई हैं।
शहर के बीचोबीच रेलवे स्टेशन के पास महाप्राण निराला जी की मूर्ति लगी हुई है ।जो लगने के बाद विकास की आस लगाए हुए हैं ।जनपद में कुल छह विधानसभा क्षेत्र हैं उन्हीं में से एक विधानसभा का नाम है पुरवा जहां से लगातार चार बार उदय राज यादव विधायक चुने गए तथा 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार में वर्तमान भाजपा के बाहुबली बलात्कारी नेता कुलदीप सिंह सेंगर विधायक रहे हैं ।
तथा भाजपा के कद्दावर नेता और वर्तमान उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित भी पुरवा विधानसभा से तीन बार विधायक चुने गए हैं पुरवा तहसील के हिलौली ब्लाक के लउवा गांव निवासी हृदयनारायण दीक्षित 1985 में पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़े और जनता ने उनके सिर जीत का सेहरा बंधा। वह 1989 जनतादल, 1991 में जनता पार्टी और 1993 में सपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर पुरवा के विधायक बने। इसबार के चुनाव में भाजपा ने टिकट देकर भगवंतनगर सीट से चुनाव मैदान में उतारा।
परंतु आज तक यहां की सड़कें पता ही नहीं चलता सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क है ।विकास के नाम पर सिर्फ बादे और घोषणाएं ही होती रही हैं परंतु जमीन पर कुछ भी नहीं हुआ है देखते हैं उन्नाव की भोली-भाली जनता कब तक इन नेताओं के कोरे बादो पर यकीन करती है
घनश्याम द्विवेदी-राष्ट्रीय जजमेंट-उन्नाव 

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