लखनऊ चकबंदी विभाग में चल रहा है लेखपालों के अटैचमेंट का खेल

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उत्तर प्रदेश का चकबंदी विभाग हमेशा सुर्खियों में रहता है पहले भर्तियों में घोटाला अब ट्रांसफर न होने की वजह से अटैचमेंट का खेल बताते चलें वर्ष 2018 – 19 में ट्रांसफर सत्र खत्म होने के बाद विभाग में ट्रांसफर प्रक्रिया बंद हो गई थी । उसके बाद विभाग में बैठे अधिकारियों ने नया खेल खेलना शुरू कर दिया कर्मचारियों का स्थानांतरण नहीं हो पाया तो उन्होंने अधिकारियों से सेटिंग करके उस स्थान पर अटैचमेंट करा लिया ताकि मलाई वाली जगह पर जमकर मौज काटी जाए उदाहरण के लिए चकबंदी मुख्यालय लखनऊ के इंदिरा भवन में लगभग 9 चकबंदी लेखपाल विभिन्न कार्यों के नाम पर अटैच किए गए थे । उनका कार्य पूरा होने के बाद भी  कुछ अटैचमेंट खत्म कर दिये गये तो कुछ को अभी भी नहीं हटाया गया
मजे की बात तो यह है कि कई लेखपाल तो बिना आदेश के मुख्यालय में अटैच हैं उनका तैनाती स्थल कहीं और है और नौकरी की औपचारिकता मुख्यालय में निभा रहे हैं जबकि चकबंदी विभाग के कमिश्नर भगेलू राम शास्त्री की छवि एक ईमानदार और योग्य अधिकारी की है । फिर भी उनकी नाक के नीचे बैठे अधिकारी/ बाबू अपना पुराना खेल; खेल रहे हैं जिलों में भी कई लेखपाल कानूनगो, एसीओ की तैनाती कहीं और है और अटैचमेंट कहीं और करा कर मजे लूट रहे हैं ।
जब कि चकबंदी कमिश्नर ने आदेश पारित करके सभी प्रकार के अटैचमेंट खत्म कर दिए थे । लेकिन उनके अधीनस्थ कर्मचारी अपना खेल जारी किए हुए हैं । चकबंदी विभाग को सुरेश यादव की बदनामी से बहुत हद तक वर्तमान कमिश्नर ने धो दिया था परंतु उनके नीचे बैठे हुए लोग अपनी पुरानी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं । अटैचमेंट के नाम पर लूट मचाये हुए हैं शायद इस ओर चकबंदी कमिश्नर और प्रमुख सचिव राजस्व का ध्यान नहीं होगा। क्या विभाग ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई करेगा जिनसे विभाग की बदनामी हो रही है।

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