नई दिल्ली. गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद सरकार चीन की कंपनियों पर सख्त रुख दिखा रही है।
केंद्र सरकार विचार कर रही है कि आयात किए जाने वाले कई प्रोडक्ट्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी जाए।
इनमें खास तौर पर वे प्रोडक्ट शामिल हैं, जिन्हें चीन से आयात किया जाता है।
इससे पहले रेलवे ने चीन की कंपनी से 471 करोड़ रुपए का करार गुरुवार को रद्द कर दिया।
बुधवार को भी भारत संचार निगम लिमिटेड ने 4जी संसाधनों को अपग्रेड करने के लिए चीन के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद करने का फैसला लिया था।
रेलवे ने 2016 में दिया था कॉन्ट्रैक्ट, अब तक केवल 20% काम हुआ
भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी को दिया सिग्नलिंग और टेलीकम्युनिकेशन का 471 करोड़ का करार रद्द करने का फैसला किया है।
यह कांट्रैक्ट चीन की कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप को 2016 में दिया गया था।
चीन की कंपनी को 471 करोड़ के इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत-
ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के 417 किलोमीटर लंबे कानपुर और मुगलसराय सेक्शन में सिग्नलिंग और टेलीकम्युनिकेशन का काम करना था।
कंपनी को यह काम 2019 तक पूरा कर लेना था।
लेकिन अभी तक केवल 20% काम ही पूरा हो पाया है।
बीएसएनएल ने चीनी प्रोडक्ट्स बैन किए, नए सिरे से जारी हो सकता है टेंडर
केंद्र ने बुधवार को भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) से भी कहा था।
कि 4जी संसाधनों को अपग्रेड करने के लिए चीन के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया जाए।
अब टेलीकॉम डिपार्टमेंट 4जी सर्विस के अपडेशन के लिए नए सिरे से टेंडर जारी कर सकता है।
टेलीकॉम कंपनियां जैसे- भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया फिलहाल हुवेई के साथ काम कर रही हैं।
जबकि बीएसएनएल जेडटीई के साथ काम करता है।
सरकारी सूत्रों का मानना है कि चीनी कंपनियों के प्रोडक्ट नेटवर्क सुरक्षा को लेकर हमेशा ही खतरा रहे हैं।