इंदिरा गांधी की आज 34वीं बरसी है। इंदिरा गांधी का सक्रिय राजनीति में आना काफी बाद में हुआ। वह अपने पिता जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद राजनीति में आईं। उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में सूचना और प्रसारण मंत्री का पद संभाला था।
इसके बाद शास्त्री जी के निधन पर वह देश की तीसरी प्रधानमंत्री चुनी गईं। इंदिरा गांधी को वर्ष 1971 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।
इंदिरा भारत के लिहाज से ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के परिप्रेक्ष्य में भी बेहद अहम थीं। अहम सिर्फ इसलिए नहीं कि वह भारत की पहली ऐसी सशक्त महिला प्रधानमंत्री थीं, जिनके बुलंद हौसलों के आगे पूरी दुनिया ने घुटने टेक दिए थे।
यह उनके बुलंद हौसले ही थे जिसकी बदौलत बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आया। भारत ने उनके ही राज में पहली बार अंतरिक्ष में अपना झंडा स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा के रूप में फहराया था।
इतना ही नहीं उन्होंने पंजाब में फैले उग्रवाद को उखाड़ फेंकने के लिए कड़ा फैसला लेते हुए स्वर्ण मंदिर में सेना तक भेजी। वह इंदिरा ही थीं, जिन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाने की ओर अग्रसर किया।

राजनीतिक स्तर पर भले ही उनकी कई मुद्दों को लेकर आलोचना होती हो, लेकिन उनके प्रतिद्वंदी भी उनके कठोर निर्णय लेने की काबलियत को दरकिनार नहीं करते हैं। यही चीजें हैं जो उन्हें आयरन लेडी के तौर पर स्थापित करती हैं।
अमेरिका और दुनिया के बड़े देश 18 मई 1974 के उस दिन को कभी नहीं भूल सकते जब भारत ने राजस्थान के पोखरण में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था। इस परीक्षण से दुनिया इतनी चकित रह गई थी कि किसी को यह समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए।
यह परीक्षण भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने की तरफ पहला कदम था। भारत ने जिस वक्त यह परीक्षण किया था, उस वक्त अमेरिका, वियतनाम युद्ध में उलझा हुआ था। लिहाजा भारत के परमाणु परीक्षण की तरफ उसका ध्यान उस वक्त गया, जब भारत ने खुद को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित किया।
अमेरिका के लिए इससे भी बड़ी चिंता की बात यह थी कि आखिर उसकी खुफिया एजेंसियों और सैटेलाइट को इसकी भनक कैसे नहीं लगी? वह वियतनाम युद्ध के बीच हुए इस परीक्षण को लेकर तिलमिलाया हुआ था।
इस परीक्षण का नतीजा था कि अमेरिका ने भारत पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इन सभी को एक चुनौती के तौर पर स्वीकार किया था।
