यूपी में भत्ता समाप्त होने से नाराज कर्मचारी पर ‘एस्मा’ लागू

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भत्तों को समाप्त करने के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध दर्ज करा रहे कर्मचारियों के खिलाफ प्रदेश सरकार की नाराजगी सामने आई है। सरकार ने तत्काल प्रभाव से आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लागू करते हुए सभी विभागों में अगले छह महीने के लिए हड़ताल पर रोक लगा दी है।

अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक मुकुल सिंघल ने कहा कि हड़ताल पर रोक के बावजूद यदि कर्मचारी आंदोलन आदि करते हैं तो सरकार सख्त कार्रवाई कर सकेगी। प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों के कई भत्तों का भुगतान एक वर्ष के लिए स्थगित करने के बाद अचानक पूरी तरह समाप्त कर दिया था।

तमाम सेवा संगठनों से जुड़े कर्मचारी काली पट्टी बांधकर इसके प्रति विरोध जता रहे हैं। उन्होंने आगे आंदोलन की चेतावनी भी दे रखी है। सरकार ने इन विरोध-प्रदर्शनों पर पूरी तरह से रोक के लिए अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए हड़ताल पर रोक लगाई है।

अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक मुकुल सिंघल ने कहा है कि प्रदेश सरकार के कार्यकलापों से संबंधित किसी लोक सेवा, राज्य सरकार के स्वामित्व व नियंत्रण वाले किसी निगम के अधीन सेवाओं तथा किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन सेवाओं के लिए छह महीने के लिए हड़ताल निषिद्ध की गई है।

कर्मचारी संगठनों ने कहा- हड़ताल का नोटिस नहीं फिर भी एस्मा
कर्मचारी संगठनों ने ‘एस्मा’ लगाने को हवा में तीर चलाने जैसा बताया। कहा कि कोरोना संकट में कर्मचारी, शिक्षक व चिकित्सक सहित सभी वर्ग पूरी तरह सरकार का सहयोग कर रहे हैं। किसी ने हड़ताल की नोटिस भी नहीं दिया है।

भत्तों की कटौती से नाराजगी के बावजूद लगातार काम करते रहने की घोषणा की है। ऐसे में इस कानून को लगाने का मतलब कार्मिकों को अकारण चुनौती देना है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि वित्त विभाग के अफसर सरकार को गुमराह कर रहे हैं।

जब किसी संगठन ने हड़ताल का नोटिस ही नहीं दिया तो एस्मा लगाने का क्या मतलब है। वहीं, कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति के प्रवक्ता बीएल कुशवाहा ने कहा कि काली पट्टी बांधना सांकेतिक विरोध है। अन्य संगठनों ने भी सरकार के निर्णय पर नाराजगी जताई है।

सचिवालय से जुड़े सेवा संगठनों ने बुलंद की आवाज

प्रदेश सरकार ने सचिवालय भत्ते सहित आठ तरह के भत्ते खत्म किए तो सचिवालय से जुड़े सभी सेवा संगठनों ने सचिवालय समन्वय समिति बनाकर इसके खिलाफ विरोध शुरू किया। समिति ने मुख्य सचिव को प्रत्यावेदन दिया।

मुख्य सचिव के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन महेश कुमार गुप्ता ने समिति के प्रतिनिधियों से बात की। समिति ने भत्तों को बहाल करने और वित्त विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

इस पर महेश गुप्ता ने सरकार के फैसले पर पुनर्विचार से इनकार कर समिति को अपनी बात लिखित रूप में देने का निर्देश दिया था। समिति ने अभी अपना प्रत्यावेदन नहीं दिया है। हालांकि लोकतांत्रिक तरीके से विरोध आगे भी जारी रखने की बात कर रहे हैं।

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