दिल्ली : कोविड-19- डेथ ऑडिट कमेटी के सदस्यों की योग्यता सवालों के घेरे में

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 दिल्ली सरकार पर कोविड 19से हुई मौत का आंकड़ा छुपाने का विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है। लेकिन दिल्ली सरकार विपक्ष के आरोप को नकारते हुए जिस ‘डेथ ऑडिट कमेटी’ के हवाले से कोविड 19 से हुई मौत की आकंडा को सही बता रही है।अब उस कमेटी के दो सदस्यों की योग्यता, उम्र को लेकर सवाल खड़ा हो गया है।विपक्ष के साथ देश के बड़े पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट (महामारी विशेषज्ञों) ने दिल्ली सरकार के द्वारा गठित ‘डेथ ऑडिट कमेटी’पर सवाल खड़े किए हैं।
मेडिकल एक्सपर्ट के अनुसार –
दिल्ली सरकार द्वारा गठित ‘डेथ ऑडिट कमेटी’ में एक सदस्य को छोड़कर दो सदस्य के पास न तो उन विषयों की शिक्षा और न ही वह अनुभव है।कि कोविड के मरीजों की मौत के सही कारणों की ऑडिट यानी पड़ताल कर यह पता लगा सके कि मरीज की मौत किस बीमारी से हुई है।
मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि –
बच्चों, 50 साल से अधिक उम्र के लोगों के साथ डाइबिटिज, हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज सहित क्रोनिकल बीमारियों के मरीजों की अधिक मृत्यु हो रही हैदिल्ली सरकार पर कोविड से हो रही मौत के आंकड़ो में हेर-फेर के शिकायत के बाद हेल्थ सेक्रेटरी पद्मिनी सिंगला ने 20 अप्रैल 2020 को डीजीएचएस के पूर्व निदेशक डा. अशोक कुमार को अध्यक्षता में डा. विकास डोगरा और डा. आरएन दास (एमएस) नर्सिंग होम तीन सदस्यों की ‘डेथ ऑडिट कमेटी’ गठित की थी।
इस कमेटी में केवल डा. डोगरा ही छाती रोग विशेषज्ञ है। जानकारी के मुताबिक डा. अशोक कुमार सेवानिवृत है और उनकी उम्र भी डा. जेसी पासी की तरह 62 वर्ष से अधिक और जीडीएमओ कैडर के डॉक्टर है।
उन्हें किसी विषय में क्लिनिकल विषय में विशेषज्ञता हासिल नहीं है इसी तरह से डा. आरएन दास को भी किसी भी विषय में विशेषज्ञता हासिल नहीं है, पिछले 20 सालों से डा. अशोक और डा. दास ने मरीजों के उपचार संबधी काम नहीं किया है, उनका मूल कार्य दफ्तर के एडमिस्ट्रेशन का है
दिल्ली सरकार के द्वारा गठीत इस ‘डेथ ऑडिट कमेटी’ का औचित्य नहीं है, क्योंकि अगर कमेटी बनानी है तो इसमें अलग-अलग विषयों के एक्सपर्ट को रखना आवश्यक है। इस कमेटी में पब्लिक हेल्थ, फिजिशियन, कार्डियोलॉजिस्ट, पैथोलोजिस्ट फोरेसिंक साइंस जैसें एक्सपर्ट डॉक्टरों का टीम रखनी चाहिए।
जो कोविड से हो रही मौत का विश्लेषण कर मौत की संख्या में कमी ला सके। किसी भी सरकार के द्वारा इस तरह की टीम गठित कर औपचारिकता पूरा करने के लिए कोई भी नागरिक हाईकोर्ट में ‘डेथ ऑडिट कमेटी’को चुनौती देते हुए सरकार को तलब करवा सकती है।

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