दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार, 16 राज्यों में सिमटकर रह गई भाजपा

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महाराष्ट्र, झारखंड के बाद अब दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा के सामने अब अगले एक साल में बिहार और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की चुनौती है।
दिल्ली में हार के बाद भाजपा बिहार में जदयू से मोलभाव करने की स्थिति में नहीं है।
वहीं पश्चिम बंगाल में पार्टी को स्थानीय स्तर पर कद्दावर नेता की कमी खटकने लगी है।
इस नतीजे के बाद भाजपा के सहयोगी अब पार्टी पर दबाव बनाने से नहीं चूकेंगे।
बिहार में संभवत: इसी साल अक्तूबर में तो पश्चिम बंगाल में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
बिहार में पार्टी की योजना सहयोगी जदयू के बराबर सीट हासिल करने की थी।
मगर ताजा नतीजे ने पार्टी को उलझा दिया है।
राज्य में पार्टी के पास कद्दावर नेता न होने के साथ ही विधानसभा चुनावों में लगातार हार के बाद भाजपा दबाव में होगी
और जदयू से बहुत अधिक मोलभाव करने की स्थिति में नहीं होगी।
वैसे भी जदयू इस चुनाव से पहले ही भाजपा की तुलना में अधिक सीटें मांग रही है।
पश्चिम बंगाल ममता की चुनौती : लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में बेहतरीन प्रदर्शन कर भाजपा ने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था।
तब राज्य में ब्रांड मोदी का जादू चला था।
हालांकि अब राज्यों में स्थानीय कद्दावर नेताओं के बिना पार्टी काम नहीं चल रहा।
पार्टी की समस्या यह है कि राज्य में उसके पास सीएम ममता बनर्जी के कद के आसपास का भी कोई स्थानीय नेता नहीं है।
सीएए के खिलाफ अल्पसंख्यक वर्ग की एक पार्टी के पक्ष में गोलबंदी से तृणमूल कांग्रेस की स्थिति राज्य में मजबूत हो सकती है।
राज्य में 28% अल्पसंख्यक मतदाता हैं।
भाजपा पर बढ़ेगा दबाव : भाजपा के राष्ट्रवादी एजेंडे से कई सहयोगी असहज हैं।
खासतौर पर सीएए, एनआरसी, एनपीआर पर जदयू, अकाली दल ने आपत्ति जताई है।
अब दिल्ली के नतीजाें के बाद दलों का दबाव भाजपा पर बढ़ेगा।
वैसे भी झारखंड व महाराष्ट्र के नतीजे के बाद सहयोगियों ने खुल कर राजग की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे।
मार्च 2018 में 21 राज्यों में थी एनडीए सरकार, अब सिर्फ 16 में
लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड बहुमत के साथ भले भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए केंद्र में दोबारा काबिज हुआ है,
लेकिन राज्यों में उसकी हार का सिलसिला रुक नहीं रहा।
मार्च 2018 में 21 राज्यों में एनडीए की सरकार थी जो अब सिमटकर 16 राज्यों में ही रह गई।
2019 लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा केवल हरियाणा में सरकार बना सकी है।
फिलहाल 12 राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार है।
दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से शुरू हुआ भाजपा की हार का सिलसिला झारखंड में भी जारी रहा।
महाराष्ट्र में सहयोगी शिवसेना के साथ स्पष्ट बहुमत मिलने के बावजूद सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को विपक्ष में बैठना पड़ा।

भाजपा दफ्तर पर लगे पोस्टर, ‘हार से निराश नहीं होते’

चुनाव नतीजों के दिन भाजपा दफ्तर में लगे पोस्टरों ने सभी का ध्यान खींचा।

Amit shah

गृहमंत्री अमित शाह की तस्वीरों के साथ लगे इन पोस्टर में लिखा था,
‘विजय से हम अहंकारी नहीं होते, हार से हम निराश नहीं होते।’
यह शायद दुर्लभ पोस्टरों में से एक है, जिसमें भाजपा ने हार की बात की है।
 दिल्ली चुनाव में भाजपा के जोरदार अभियान के पीछे अमित शाह की अहम भूमिका रही।
दिल्ली में भाजपा के 200 से ज्यादा सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों और कई मुख्यमंत्रियों ने प्रचार किया।
भाजपा का मुख्य अभियान शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शन पर केंद्रित रहा था।

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