CAA protest : कानपुर हिंसा में पीछे पीएफआई का हाथ, एएमयू के पूर्व छात्रों के शामिल होने की आशंका

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नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शहर में हिंसा फैलाने की साजिश में एएमयू (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) के कुछ पूर्व छात्रों का नाम भी सामने आ रहा है।
सुरक्षा एजेंसियों को इस संबंध में इनपुट मिला है।
एजेंसियां उनके खिलाफ साक्ष्य जुटा कर उनकी भूमिका की जानकारी जुटा रही है।
अगर पुख्ता सुबूत मिलेंगे तो कार्रवाई तय है।
20 और 21 दिसंबर को बाबूपुरवा व यतीमखाना में हिंसा हुई थी।
तीन प्रदर्शनकारियों की मौत के अलावा दस प्रदर्शनकारी गोली से घायल हुए थे।
वहीं 42 पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।
मामले में पुलिस ने पीएफआई के सदस्यों की गिरफ्तारी की थी।
जांच में पुलिस का दावा किया था कि हिंसा के पीछे पीएफआई का हाथ है।
वहीं अब सुरक्षा एजेंसियों को जांच में जानकारी मिली है कि आठ-दस एएमयू के पूर्व छात्र भी हिंसा के पीछे थे।
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वह कानपुर भी आए थे।
आशंका है कि ये भी पीएफआई से जुड़े या संपर्क में थे।
सूत्रों के मुताबिक एजेंसियां इन सभी की निगरानी कर रही हैं।
इनकी गतिविधियों पर नजर रखने के अलावा मोबाइल नंबर भी सर्विलांस पर लिये गए हैं।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हिंसा भड़काने में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई)
राजनीतिक चेहरा बनकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की मदद कर रही है।
31 जनवरी को बाबूपुरवा पुलिस ने पीएफआई के जिन पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया था।

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