उत्तर प्रदेश : प्रशासनिक फेरबदल की तैयारी बड़े स्तर पर की जा रही है, कार्यमुक्त किए जाएंगे अफसर होगी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति

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शासन स्तर पर जल्द ही बड़ा प्रशासनिक फेरबदल तय माना जा रहा है।
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आईआईडीसी) सहित कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी देख रहे अफसर जल्द ही
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए कार्यमुक्त होने वाले हैं।
इन पदों पर दूसरे अफसरों की तैनाती की जानी होगी।
आईआईडीसी आलोक टंडन,
मुख्य सचिव की स्टाफ ऑफिसर कामिनी चौहान रतन,
सचिव वित्त अलकनंदा दयाल और
मिर्जापुर के मंडलायुक्त के. राम मोहनराव की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर विभिन्न पदों पर नियुक्ति हो चुकी है।
माना जा रहा है कि दिवाली की छुट्टी के बाद कुछ दिनों के भीतर इन अफसरों को
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कार्यभार ग्रहण करने के लिए कार्यमुक्त कर दिया जाएगा।
इनमें आलोक टंडन के पास भारी-भरकम जिम्मेदारी है।
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त के अलावा वह नोएडा, ग्रेटर नोएडा व
यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के चेयरमैन की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
उन्होंने 31 अक्तूबर के अपराह्न से केंद्र में जॉइनिंग के लिए कार्यमुक्त करने का आग्रह भी कर दिया है।
ऐसे में आलोक के कार्यमुक्त होते ही
आईआईडीसी के साथ महत्वपूर्ण तीन औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के चेयरमैन के पद भी खाली हो जाएंगे।
आईआईडीसी के पद पर किसी अन्य अधिकारी को लाते ही उससे रिक्त होने वाले पद पर किसी अफसर को लाना होगा।
औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के चेयरमैन की जिम्मेदारी भी दूसरे अफसरों को सौंपनी पड़ेगी।
वित्त मंत्रालय में रह जाएंगे केवल एक ही सचिव
सचिव वित्त अलकनंदा दयाल के कार्यमुक्त होने के बाद वित्त विभाग में केवल एक ही सचिव रह जाएंगे।
अब जबकि, वित्त वर्ष 2020-21 के बजट की तैयारियों में तेजी आनी है,
विभाग में कम से कम एक वित्त सचिव की तैनाती जल्द से जल्द करनी होगी।
केंद्र सरकार ने मिर्जापुर के मंडलायुक्त के. मोहनराव को विशाखापट्टनम पोर्ट ट्रस्ट का चेयरमैन नियुक्त कर दिया है।
उन्हें कार्यमुक्त करने के साथ ही नए मंडलायुक्त की तैनाती करनी होगी।
मुख्य सचिव की स्टाफ ऑफिसर कामिनी चौहान रतन के स्थान पर भी किसी वरिष्ठ अधिकारी की तैनाती की संभावना है।
अफसरशाही में आईआईडीसी-एपीसी के पद पर निगाहें
कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) राजेंद्र कुमार तिवारी के पास अभी मुख्य सचिव के साथ अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा का भी काम है।
दो महीने होने वाले हैं, सरकार मुख्य सचिव के पद पर नियमित नियुक्ति का आदेश जारी नहीं कर पाई है।
नियमित नियुक्ति आदेश का पेंच न सुलझा पाने से एपीसी व
उच्च शिक्षा की जिम्मेदारी किसी अन्य को सौंपने का निर्णय नहीं हो पा रहा है।
तिवारी मुख्य सचिव ऑफिस से ही पूरा कामकाज देख रहे हैं।
विभागों से लेकर यूनिवर्सिटी तक में सरकार के इस प्रयोग पर नुक्ताचीनी हो रही है।
एपीसी का पद मुख्य सचिव के बाद सबसे अहम माना जाता है।
एपीसी, आईएएस अधिकारियों के स्थानांतरण व तैनाती के लिए बने बोर्ड में बतौर सदस्य शामिल होता है।
खाली हो जाएगा आईआईडीसी का महत्वपूर्ण पद भी
आलोक टंडन की विदाई के बाद आईआईडीसी का महत्वपूर्ण पद भी खाली हो जाएगा।
आईआईडीसी के पास अवस्थापना विकास व उद्योगों की स्थापना से जुड़े एक दर्जन से अधिक
विभागों के कामकाज की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी होती है।
अब एपीसी व आईआईडीसी के पद पर कई वरिष्ठ अफसरों की निगाहें हैं।
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मुख्य सचिव के बाद वरिष्ठता में यहां तैनात अफसरों में
दीपक त्रिवेदी,
मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन,
आलोक सिन्हा,
मुकुल सिंघल,
कुमार कमलेश,
अवनीश कुमार अवस्थी,
महेश कुमार गुप्ता व
रेणुका कुमार आदि का क्रम आता है।
लेकिन एपीसी व आईआईडीसी के पद के लिए
विभिन्न कारणों, समीकरणों, चुनौतियों व तर्कों के साथ चार अफसरों का नाम लिया जा रहा है।
इनमें अपर मुख्य सचिव वाणिज्य कर आलोक सिन्हा,
अपर मुख्य सचिव नियुक्ति मुकुल सिंघल,
अपर मुख्य सचिव सूचना व गृह अवनीश कुमार अवस्थी व
अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा व राजस्व रेणुका कुमार के नाम शामिल हैं।
जिस किसी को भी इन दो महत्वपूर्ण पदों पर शिफ्ट किया जाएगा,
उनके भारी-भरकम दायित्व किसी अन्य अफसर को देने होंगे।

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