CBI ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा- नीरव मोदी के सहायक बोसमिया को न दें जमानत

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नई दिल्ली। सीबीआई ने तेरह हजार करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक घोटाला करने में मुख्य आरोपी नीरव मोदी की सहायता करने वाले
सह-आरोपी मनीष के बोसमिया के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य होने का दावा सुप्रीम कोर्ट में किया है। केंद्रीय एजेंसी ने कहा है कि
बोसमिया की जमानत की मांग निचली अदालत और हाईकोर्ट रद्द कर चुका है, क्योंकि पीएनबी बैंक धोखाधड़ी मामले में सह-आरोपी ने अहम भूमिका निभाई है।
उसने फर्जी तरीके से लेटर्स ऑफ अंडरकेटिंग्स (एलओयू) के आवेदन तैयार कराए थे।
सुप्रीम कोर्ट में बोसमिया द्वारा जमानत के लिए दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सीबीआई ने कहा है कि मुख्य आरोपी, नीरव मोदी,
निशाल मोदी, सुभाष परब समेत कई संदिग्ध इस घोटाले की साजिश में शामिल हैं और भगोड़े घोषित किए जा चुके हैं।
अगर सह-आरोपी बोसमिया को जमानत मिलती है तो वह गैरकानूनी धन को ठिकाने लगाने और मुख्य आरोपियों की सहायता फिर से कर सकता है।
ऐसे में जनहित को ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च अदालत बोसमिया को जमानत नहीं दे, क्योंकि
वह साक्ष्यों को नुकसान पहुंचा सकता है जो अभियोजन यानी सरकार के पक्ष में नहीं होगा।
सर्वोच्च अदालत में दाखिल किए गए हलफनामे में सीबीआई ने बोसमिया कि ओर से दिए गए सभी तर्कों और उन आरोपों को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया कि
केंद्रीय एजेंसी के पास ऐसे कोई सबूत नहीं है जिनसे प्रथम दृष्टया उसकी भूमिका इस घोटाले में स्पष्ट होती हो।
मुख्य आरोपी नीरव मोदी के स्वामित्व वाली फायरस्टार्टर इंटरनेशनल लिमिटेड के तत्कालीन एजीएम (ऑपरेशन) मनीष के बोसमिया को गतवर्ष 4 मार्च को गिरफ्तार किया गया था।
तबसे वह जेल में है. उस दौरान तत्कालीन वित्त प्रबंधक मितेन अनिल पंड्या को भी एलओयू के लिए जमा किये गए आवेदन तैयार करने में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया।
साथ ही चार्टर्ड अकाउंटेंसी कंपनी सम्पत एंड मेहता, मुंबई में साझेदार ऑडिटर संजय रंभिया को भी गिरफ्तार किया गया।
सीबीआई लगातार देश की जेलों में बंद विभिन्न आरोपियों को जमानत नहीं देने की गुहार न्यायपालिका से लगा रही है और यह तर्क दे रही है कि जांच के दौरान पर्याप्त साक्ष्य उसके हाथ लगे हैं।
सीबीआई ने बोसमिया को गिरफ्त में लेने के दौरान ही मेहुल चौकसी की कंपनी गिली इंडिया के तत्कालीन निदेशक ए शिव रमण नायर को भी गिरफ्तार किया था. यह आरोप है कि गीतांजलि समूह की कंपनियों के निदेशकों में से एक होने के अलावा वह कथित एलओयू और फारेन लेटर्स आफ क्रेडिट (एफएलसी) जारी करने के लिए पीएनबी में जमा अर्जियों के लिए अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता था.
याद रहे कि पीएनबी घोटाला मामले में सीबीआई मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत में चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है. इसमें पीएनबी के चार शीर्ष अधिकारी शामिल हैं. इसके अलावा नीरव मोदी की कंपनियों, फायरस्टार इंटरनेशनल, स्टेलर डायमंड, डायमंड्स आर यूएस और सोलार एक्सपोर्ट्स को भी शामिल किया गया है. बोसमिया फायरस्टार कंपनी में शीर्ष पद पर था

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