लखनऊ: हाईकोर्ट के सख्त तेवर के बाद, नगर निगम ने कोर्ट के समक्ष किया स्वीकार कि शहर की सफाई लक्ष्य से काफी पीछे

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लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ की सख्ती के बाद लखनऊ नगर निगम ने कोर्ट के समक्ष स्वीकार किया है कि शहर की सफाई टारगेट से काफी पीछे है। हालांकि नगर निगम की ओर से यह भी दावा किया गया है कि पहले की तुलना में शहर को काफी हद तक साफ भी किया जा चुका है।

हाईकोर्ट के सख्त तेवर

शहर में नगरीय सुविधाओं को दुरूस्त कराने के मामले में चल रहीं सुनवायी में सोमवार को नगर निगम व आउटसोर्सिंग एजेंसियों और ठेकेदारों की ओर से 80 से अधिक शपथ पत्र भी कोर्ट में दाखिल कर सफाई, पॉलीथीन व अवारा पशुओं के मुद्दे पर अब तक की गई कार्रवाईयों व आगे के योजना का ब्यौरा पेश किया गया। कोर्ट ने मामले की अग्रिम सुनवाई के लिए 22 मई की तिथि तय की है।
यह आदेश जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी व जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने नगर निगम की ओर से दाखिल हलफनामों को रिकार्ड लिया। कोर्ट सफाई मामले में स्वतः संज्ञान के तौर पर दर्ज जनहित याचिका पर सुनवायी कर रही है।
नगर निगम के वकील डॉ. वीके सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश के अनुपालन में नगर निगम के जोनल अधिकारियों, बीट इंचार्जों व इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों तथा आउटसोर्सिंग एजेंसियों व ठेकेदारों की ओर से 80 से अधिक शपथ पत्र दाखिल किये गए। कोर्ट को यह भी बताया गया कि ईको ग्रीन नाम की जिस एजेंसी के ऊपर शहर के सभी वार्डों की जिम्मेदारी है, वह फिलहाल आधे वार्ड ही कवर कर पाई है।
दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहाकि यदि उक्त एजेंसी काम न कर पा रही हो तो दूसरी एजेंसी को जिम्मा दिया जाए अथवा अतिरिक्त एजेंसियां लगाई जाएं। इसके साथ ही पॉलीथीन बिक्री के विरुद्ध अब तक की गई कार्रवाईयों का ब्यौरा शपथ पत्र के साथ कोर्ट को सौंपा गया। आवारा पशुओं के मामले पर नगर निगम का कहना था कि 31 मई तक सभी आवारा पशुओं को कान्हा उपवन छोड़ दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने शहर की साफ-सफाई, पॉलीथीन व आवारा पशुओं की समस्याओं पर सख्त रुख अपनाया हुआ है।

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