फर्जी BSA बनकर ठगी करने वाले आरोपी को आजमगढ़ पुलिस ने दबोचा, लाखों की ठगी का खुलासा

 

राष्ट्रीय जजमेंट

आजमगढ़: आजमगढ़ की साइबर क्राइम पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। पुलिस ने एक ठगी गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए एक शातिर अभियुक्त को गिरफ्तार किया है। आरोपी फर्जी बेसिक शिक्षा अधिकारी बनकर लोगों को ECCE शिक्षक बनाने के नाम पर लोगों से मोटी रकम ऐंठ लेता था। पुलिस की जांच में आरोपी कई नाम खोले हैं जिनकी तलाश की जा रही है। आजमगढ़ पुलिस को आरोपी के पास से एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और दो एंड्राइड फोन बरामद हुए हैं।
जानकारी के अनुसार, प्रयागराज जिले के रहने वाले राम सिंह ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़ के नाम से एक फर्जी ईमेल अकाउंट बनाया था। जिसके द्वारा वह शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित भर्तियों के संदर्भ में अभियर्थियों को उनके चयनित होने की सूचना से अवगत करता था और बाद में उनसे पद पर नियुक्ति के लिए मोटी रकम की मांग करता था। लोगों को राम सिंह के बेसिक शिक्षा अधिकारी होने पर शक ना हो इसके लिए आरोपी ने बाकायदा ह्वाट्सऐप और ट्रूकॉलर पर भी बेसिक शिक्षा अधिकारी का नाम और फोटो लगाया हुआ था। बैंक के द्वारा आरोपी के लोकेशन का पता ना चल सके। इसके लिए वह जनसेवा केंद्र धारकों के क्यूआर कोड के द्वारा पैसे का आदान प्रदान करता था। इसी बीच आरोपी राम सिंह ने आजमगढ़ रौनापार थाना के मऊ कुतुबपुर निवासी दिनेश विश्वकर्मा पुत्र सुमेर विश्वकर्मा से से भी फर्जी मेल भेजकर नौकरी का झांसा देते हुए पैसे की डिमांड की।
नौकरी की आस में दिनेश ने रामसिंह को पैसे भी भेज दिए जिसके बाद राम सिंह ने दिनेश के मोबाइल को ब्लॉक कर दिया। ठगे जाने के बाद दिनेश ने राम सिंह के मेल अकाउंट और मोबाइल नंबर पर आजमगढ़ के साइबर क्राइम थाने में 25 दिसंबर को मुकदमा पंजीकृत कराया। आजमगढ़ पुलिस को आरोपी की लोकेशन प्रतापगढ़ में पता चली जिसके बाद पुलिस ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर आरोपी राम सिंह को प्रतापगढ़ जिले के पट्टी क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया।
इस मामले में अपर पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ ग्रामीण चिराग जैन ने बताया कि मामले में कुछ अन्य नामों के प्रकाश में आने की संभावना है। जांच की जा रही है अगर और भी नाम सामने आएंगे तो सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लोगों को जागरूक करते हुए अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने कहा की किसी भी लेनदेन से संबंधित किसी भी संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तत्काल साइबर हेल्पलाइन या फिर अपने नजदीकी थाने को दें।

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