मंदिरों को सरकारी कब्जे से मुक्त करो, जिहादी कट्टरता पर सख्त कानून लाओ – संतों का हुंकार

विहिप की मार्गदर्शक मंडल बैठक में 300 से अधिक संतों ने दी देश को चेतावनी

नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की दो दिवसीय बैठक मंगलवार को दिल्ली के पंजाबी बाग में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज की अध्यक्षता में शुरू हुई। देशभर से आए करीब 300 संत-महात्माओं ने एक स्वर में हिंदू मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण से मुक्त करने, तेजी से बढ़ते धर्मांतरण पर रोक लगाने और जिहादी कट्टरता के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की।

विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने संतों से कहा कि हिंदू समाज आज कई गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। उन्होंने मंदिरों की आजादी, पूरे देश में एक समान धर्म स्वातंत्र्य कानून, सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ती समस्याओं, नशामुक्ति अभियान और आगामी जनगणना में सभी हिंदुओं द्वारा अपना धर्म कॉलम में सिर्फ ‘हिन्दू’ लिखने का आह्वान किया।

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने खुलकर हमला बोला। उन्होंने कहा, “कुछ लोग आज जिहाद और आतंक को जायज ठहराने का दुस्साहस कर रहे हैं। दिल्ली हमले के आरोपी के समर्थन में खड़े होने वाले लोग देश के लिए खतरा हैं।” उन्होंने संसद से कठोर आतंक-विरोधी कानून, जनसंख्या नियंत्रण कानून और मंदिरों को सरकारी चंगुल से मुक्त करने की जोरदार मांग की।

पश्चिम बंगाल से आए संतों ने राज्य की बदतर स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि वहां कट्टरपंथी खुलेआम जिहादी बयान दे रहे हैं, हिंदुओं को धमकाया जा रहा है। यह सिर्फ बंगाल नहीं, पूरे देश के लिए खतरे की घंटी है। सुधांशु महाराज ने श्रीराम मंदिर के 500 साल के संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की असली ताकत हमारे संत और सनातन संस्कृति में है। अब समय है कि गुरुकुल, पुजारी परंपरा और संस्कार केंद्रों को मजबूत किया जाए।

बैठक में जगद्गुरु स्वामी रामकमलाचार्य जी, अटल पीठाधीश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती, गीता मनीषी ज्ञानानंद जी सहित सैकड़ों संत और विहिप के वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे।

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