लाचित बोरफूकन की गाथा अब हिंदी में : केशव कुंज में पुस्तक विमोचन, मंत्री बोले- यह भारत की आत्मा की जीत

नई दिल्ली: केशव कुंज में शुक्रवार को असम के अमर सेनापति लाचित बोरफूकन की गौरव गाथा फिर गूँजी। “लाचित बरफुकन : महायोद्धा जिसने औरंगज़ेब की सेना को परास्त किया” पुस्तक का भव्य विमोचन हुआ। पूर्वोत्तर अध्ययन केंद्र, फोन फाउंडेशन और प्रभात प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री पवित्र मार्गेरिटा मुख्य अतिथि तथा आईसीएसएसआर के सदस्य-सचिव प्रो. धनंजय सिंह विशिष्ट अतिथि रहे।

सरायघाट के युद्ध में मुग़लों को धूल चटाने वाले लाचित बोरफूकन पर हिंदी की यह पहली वृहद एवं प्रामाणिक पुस्तक है। पुस्तक के लेखक जेएनयू के सह-प्राध्यापक डॉ. रक्तिम पातर ने कहा, “भारतीय इतिहास-लेखन में पूर्वोत्तर को हमेशा हाशिए पर रखा गया। यह किताब उस मिथक को तोड़ती है। लाचित सिर्फ़ असम के नहीं, पूरे भारत के नायक हैं।”

मंत्री पवित्र मार्गेरिटा ने भावुक स्वर में कहा, “मैं खुद अहोम समाज से हूँ। लाचित का बलिदान भारत की आत्मा की जीत है। उनकी वीरता ने सिद्ध कर दिया कि देशभक्ति के सामने कोई सेना टिक नहीं सकती।” प्रो. धनंजय सिंह ने लाचित को ‘अदम्य साहस और कर्तव्यनिष्ठा का शाश्वत प्रतीक’ बताया और कहा, “असम भारत का पूर्वी द्वार है, जहाँ से सैकड़ों वर्षों से संस्कृति और ज्ञान का प्रवाह हो रहा है।”

कार्यक्रम में दिल्ली-एनसीआर के कई विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, शोधार्थी और बुद्धिजीवी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। प्रभात प्रकाशन के श्री प्रभात कुमार की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा बढ़ाई। अंत में पूर्वोत्तर अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष सुरेंद्र घोंगक्रोकता ने सभी का आभार व्यक्त किया।

लाचित बोरफूकन की यह पुस्तक अब देश के हर कोने तक उस वीर योद्धा की गाथा पहुँचाएगी, जिसने बीमार शरीर और टूटती सेना के बावजूद औरंगज़ेब के सपने को चकनाचूर कर दिया था।

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