सफदरजंग अस्पताल ने रचा इतिहास, सरकारी अस्पताल में पहली बार बच्चे का किडनी ट्रांसप्लांट सफल, मां की किडनी से मासूम को मिली नई जिंदगी

नई दिल्ली: दिल्ली के वीएमएमसी एवं सफदरजंग अस्पताल ने मंगलवार को देश के किसी भी केंद्रीय सरकारी अस्पताल में पहली बार किसी बच्चे का गुर्दा प्रत्यारोपण (पेडियाट्रिक रिनल ट्रांसप्लांट) सफलतापूर्वक कर इतिहास रच दिया। 19 नवंबर को हुए इस जटिल ऑपरेशन में 11 साल के एक बच्चे को उसकी 35 साल की मां ने अपना गुर्दा दान किया है। सबसे बड़ी बात यह कि 15 लाख रुपये तक का यह ऑपरेशन और जीवनभर की महंगी दवाएं पूरी तरह मुफ्त दी जा रही हैं।

बच्चा उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले का रहने वाला है। उसके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। डेढ़ साल पहले दोनों किडनी फेल होने से बच्चे को कार्डियक अरेस्ट आया था। तब से वह सफदरजंग के पेडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी विभाग में नियमित डायलिसिस पर था। परिवार ने निजी अस्पताल का खर्च सुनकर सारी उम्मीद छोड़ दी थी।

अस्पताल निदेशक प्रो. डॉ. संदीप बंसल ने बताया, “यह पूरे देश के केंद्रीय सरकारी अस्पतालों में पहला बाल गुर्दा प्रत्यारोपण है।” ऑपरेशन का नेतृत्व यूरोलॉजी एवं रिनल ट्रांसप्लांट विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. पवन वासुदेवा ने किया। टीम में प्रो. डॉ. नीरज कुमार, पेडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी इंचार्ज प्रो. डॉ. शोभा शर्मा, डॉ. श्रीनिवासवरदन, एनेस्थीसिया में डॉ. सुशील, डॉ. ममता व डॉ. सोनाली शामिल रहे।

डॉ. पवन वासुदेवा ने कहा, “बच्चे के छोटे पेट में बड़ा गुर्दा रखना और बड़ी नसों से जोड़ना बहुत चुनौतीपूर्ण था, लेकिन नया गुर्दा पूरी तरह काम कर रहा है।” बच्चा अब डायलिसिस से मुक्त है और कुछ दिनों में डिस्चार्ज हो जाएगा। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. चारु बंबा ने कहा, “जीवनभर लेनी वाली इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएं भी अस्पताल मुफ्त देगा।”

निदेशक डॉ. बंसल ने कहा, “एक गरीब परिवार का बच्चा आज स्वस्थ होकर घर जा रहा है, यही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।” सफदरजंग ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सरकारी अस्पताल भी बड़े-बड़े प्राइवेट अस्पतालों को पीछे छोड़ सकते हैं।

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